सुरभि जब सात साल की थी तब उसके माता-पिता की कार दुर्घटना मे मृत्यु हो गयी ।उसके पास कोई नही था ।सिर्फ उसकी दादी उसके साथ थी । दादी अपने छोटे बेटे के साथ
रहने के लिए आ गई सुरभि भी उनके साथ आ गई चाचा चाची के साथ रहने के लिए सुरभि के दो चचेरे भाई बहन है
रिया और शुभ दोनो ही अपनी बहन सुरभि को बहुत प्यार करते है ।सुरभि भी उन दोनो बहुत पसंद करती है लेकिन
सुरभि की चाची उसे पसंद नही करती है ।दादी सुरभि को लेकर बहुत चिंतित है कि एक दिन अचानक दादी की तबीयत बिगड़ने लगी और वो बीमार रहने लगी ।और एक दिन उनका देहांत हो गया छोटी सी सुरभि पर मानो दुखो का पहाड़ टूट पड़ा हो अब सुरभि दादी के जाने के बाद गुमसुम सी रहने लगी ।सुरभि के चाचा ने उसका एडमिशन एक अच्छे से स्कूल मे करबा दिया वही रिया और शुभ पड़ते थे सुरभि
बहुत होनहार लड़की थी जब तीनो एक साथ स्कूल जाते थे
तो उसकी चाची बस स्टैंड तक छोड़ने जाती है तो अपने दोनो बच्चो को बहुत प्यार करती है लेकिन सुरभि की तरफ एक नज़र भी नही देखती सुरभि हर पल अपनी चाची मे अपनी मां तलाशती उसकी चाची उसे पसंद नही करती वही सुरभि
के भाई बहन उस से बहुत प्यार करते है समय बितता गया
और तीनो बड़े हो गए सुरभि हर काम मे होशियार है ।पढ़ने
लिखने मे घर के कामकाज मे हर क्षेत्र मे आगे है ।जितनी देखने मे सुंदर उतनी स्वभाव मे सरल थी ।सुंदरता मानो ऐसी
जैसे कोई परी आसमान से उतरी हो बड़ी बड़ी ऑखे उस पर
धनुष आकार की भौह गुलाब की पंखुरी के जैसे होंठ कमर
इतने लंबे बाल सुराही जैसी गर्दन गोरी चिट्ठी सी सुरभि आज बहुत खूबसूरत लग रही है । आज उसके कालेज का पहला दिन है । डेर सारे सपने संजोए कालेज जा रही है ।उसे कालेज जाना बहुत अच्छा लग रहा है ।कालेज मे नए लोग नए दोस्त उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहे है । वही उसकी मुलाकात समीर से होती है । समीर एक अच्छे परिवार का लड़का है मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है । समीर सीधा सादा सा लड़का है ।जैसे ही समीर की नजर सुरभि पर पड़ती है उसको देखते ही उसे प्यार हो जाता है । धीरे-धीरे दोनो मे दोस्ती हो जाती है । और दोस्ती कब प्यार मे बदल जाती है उने पता ही नही चलता । दोनो को एक दूसरे का साथ बहुत भाता है । लेकिन किसी कारण से समीर का कालेज छूट जाता है । सुरभि हर पल समीर के बारे मे सोचती रहती है ।और धीरे-धीरे समय अपनी गति से आगे निकल जाता है और उधर सुरभि का कालेज भी पूरा हो गया ।और अब सुरभि एक स्कूल मे शिक्षिका वन गई है । उसे बस से जाना होता है स्कूल की एक दिन अचानक उसे बस मे समीर मिल जाता है ।और उसे देखते ही सुरभि की ऑखे भर आती है ।बहुत सारे सवाल उसके सामने आ जाते है ।वो उन सवालो का जावव चाहती है ।तब तक सुरभि का स्टाप आ जाता है और वो चली जाती है ।अगले दिन फिर दोनो की मुलाकात होती है तभी सुरभि वहा से जाने लगती है फिर समीर आगे बढ़कर सुरभि का हाथ पकड़ लेता है ।फिर वो कालेज छोड़कर जाने की बजह बताता है ।की उसके पिता जी का अचानक मृत्यु हो जाने से घर की जिम्मेदारी उस पर आ गई जिस कारण उसे कालेज छोड़ना पड़ा समीर सुरभि की सारी गलतफहमी दूर कर देता है । फिर से दोनो एक हो जाते है फिर दोनो मे प्यार बढ जाता है धीरे-धीरे उनका प्यार परबान चढ़ने लगता है ।सुरभि जब अपने घर आती है तो देखती है चारो ओर भागमभाग मची है उसे कुछ समझ मे नही आता है तभी सुरभि की चाची वहा आती है और उसे वाताती है कि उसकी बहन रिया को लड़के वाले देखने आ रहे है और वो ये बात सुनकर खुशी से फूले नही समाती और रिया से मिलने उसके कमरे मे पहुंच जाती है रिया आज बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा के सामान खूबसूरत लग रही है ।तभी दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक होती है तभी रिया की मा दरवाजे की ओर देखतीहै । सामने से लड़के वाले आ रहे है । सव उनकी आव भगत मे व्यस्त हो जाते है ।कुछ देर बाद ऊपर से उतर कर रिया नीचे आ गई सब लोग उसे देखते ही रह जाते है और रिया सबको एक ही नज़र मे पसंद आ जाती है । सब लोग एक दूसरे से बात चीत करते है तभी रिया की होने वाली सास कहती है कि हम रिया को जल्द से जल्द अपने घर की बहू बनाना चाहते है ।क्या पता कही रिया का इरादा बदल गया तो मुझे इतनी अच्छी बहु कहा मिलेगी
कहकर जोर से हसने लगती है और उनके साथ सभी हसने लगते है यह सब देख रिया शर्मा के अपने कमरे मे चली जाती है । रिया का रिश्ता तह हो गया है अगले महीने की 14 तारीख को रिया की शादी है ।घर का माहौल बहुत अच्छा खुशनुमा खुशहाल है धीरे-धीरे शादी की तारीख भी नजदीक आ गई घर मे शादी की तैयारी जोर शोर से होने लगी और समय बितता गया 14 तारीख शादी का दिन भी आ गया और आज रिया की शादी है लाल जोड़े मे सजी-धजी रिया बहुत सुन्दर लग रही है । वही संजय भी शादी की शेरवानी मे किसी हीरो से कम नही लग रहा है । दोनो की शादी हो रही है सभी बहुत खुश है रिया अपने ससुराल पहुंच गई है ।इधर रिया की मा बिल्कुल अकेली पड़ गई अब सुरभि अपनी चाची का पूरा ख्याल रख रही है और अपने स्कूल मे व्यस्त हो गई और समीर सुरभि मे काफी नजदीक आ गई है उधर रिया के मा बनने की खबर मिलती है और इससे एक वार फिर पूरा घर खुशियो से भर जाता है धीरे-धीरे वो समय भी आ जाता है जब रिया का बच्चा पैदा होने वाला है उसे अस्पताल मे ले जाया जाता है रिया दर्द से तड़प रही है डाक्टर बोलते है रिया का ऑपरेशन करना होगा रिया की हालत नाजुक है सब घरवाले बहुत परेशान है और प्राथना कर रहे है सब अच्छा हो लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था ।रिया ने एक बेटे को जन्म दिया और कुछ पल के बाद रिया हमेशा के लिए गहरी नींद मे सो गई रिया की ससुराल और मायके मे कोहराम मच गया चारो ओर मातम छा गया सारी खुशिया मातम मे बदल गई सुरभि की चाची रिया के बच्चे को अपने साथ घर ले आती है और उस बच्चे की देखभाल करती है अंदर ही अंदर उन्हे बच्चे की चिंता खाए जा रही है वो रसोई मे काम कर रही है तभी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देती है वो भागतीहुई कमरे मे आती है और देखती है सुरभि बच्चे को गोद मे लिए हुए है और बच्चा सुरभि के साथ खेल रहा है वो यह सब देख वहा से चली जाती है और वो पूरी रात सुरभि और बच्चे के बारे मे सोचती रहती है अगले दिन सुबह सुरभि की चाची उसके पास जाती है और उसे गले लगा लेती है सुरभि जो बचपन से अपनी चाची मे अपनी मा तलाशती है वो उसे अपनी चाची मे मा मिल जाती है और वो बहुत खुश हो जाती है तभी उसके सामने संजय से शादी का प्रस्ताव रख देती है ।
वो चाहकर भी मना नही कर पाती है क्योंकि सालो बाद आज उसे मा मिली है वो बिन मां की बेटी थी इसलिए वो रिया के बच्चे को अनाथ नही होने देना चाहती है इसलिए वो अपने प्यार समीर को छोड़कर संजय से शादी कर लेती है संजय को पत्नी और बच्चे को मां मिल जाती है सुरभि की चाची उसे अपनी बेटी बना लेती है ।