12 जून 2022
रविवार
समय 11: 30 मिनट रात
मेरी प्यारी सहेली,
कई बार जीवन में अहम की उत्पत्ति होने पर इंसान अपने आसपास देखने की पूरी शक्ति धूमिल कर बैठता है। अपने अलावा शायद उसे कुछ दिखाई नहीं देता।
मैं मैं करती हुई बकरी सदैव अपना ही नुकसान करवा बैठती है। जब तक अहंकार की तिलांजलि नहीं होगी तब तक भ्रम की काली छाया भी आंखों के सामने से नहीं हटेगी।
प्रतिदिन के समान है आज का दिन भी गर्म ही रहा। हालांकि बारिश की कुछ बूंदें यदा-कदा गिरते हुए आस बंधा रही थी कि शायद बारिश हो जाए।
आज के लिए इतना ही।
शुभ रात्रि