14 जून 2022
मंगलवार
समय 10: 40 रात
मेरी प्यारी सहेली,
कल तुमसे मुलाकात नहीं हो पाई। माफी चाहती हूं इस बात के लिए। लेकिन क्या करूं मायके आने का सुख यात्रा में आई परेशानी शायद सब कुछ का मिलाजुला असर कहो तो भी गलत ना होगा।
ऑटो वाले हो या रिक्शावाले या हो टैक्सी। गाड़ी से उतरते ही लोग अजनबी समझकर अधिक से अधिक पैसों की मांग करने लगते हैं। मानो उतरने वाला इंसान उतरने वाले स्थान पर अजनबी है। कल कितना बताया यह मेरा मायका है मैं यही की बेटी हूं रेट इतने तो ना बताओ। पर सभी ने अपने दाम बढ़ा रखे थे।
अंत में दुःखी होकर सामान लेकर खुद ही आगे की तरफ बढ़ना पड़ा। ताकि कोई गाड़ी मिल सके। तब तक एक मोटर सवार मेरे सामने आकर रुका बोला कहां जाना है आपको? मैंने अपना पता बताया तो वह बोला आप इस साइड में क्यों खड़ी हैं? घूमकर पेट्रोल पंप की तरफ जाकर खड़े हो जाइए। वहां से आपको ई रिक्शा मिल जाएगा।
वही हुआ जो उस बाइक चालक ने बताया था। इंसान की भलमानसी किसी अजनबी इंसान को भी याद रखने पर मजबूर कर देता है।
माता-पिता चाहे कितने भी बुजुर्ग हो जाए पर उनके लिए बच्चे तो बच्चे ही रहते हैं। बच्चों को समझाना, उन्हें स्नेह देना, उन्हें हर बात के लिए उचित मशवरा देना बड़े बुजुर्गों की आदत में शुमार होता है।
मायके में आने के लिए कितने दिनों से सोच कर रखा जाता है पर मायके आते ही जाने का नाम याद आते ही दिल दुःखी सा होता है। मायके में मिला वात्सल्य सच सब सुखों से बड़े सुख जैसा ही लगता है।
आज के लिए इतना ही कल फिर मिलते हैं तब तक के लिए
शुभ रात्रि