6 जुन 2022
सोमवार
समय 11:00 रात
मेरी प्यारी सहेली,
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में घर-घर पौधे लगाने का आह्वान किया गया। लगभग सभी पार्क में जाकर वृक्षारोपण कर आए।
मुझे अपने घर की बगिया में पौधारोपण ज्यादा सटीक लगा। सुबह शाम खुद अपने हाथों से पानी दे सकेंगे। इसी आशा से मैंने गमले में ही पौधारोपण कर दिया। जबकि बाकी सभी पार्क में जाकर अपना अपना पौधा लगा आए।
आज जब वे अपने पौधों को देखने गए अधिकांश पौधे मृत पाए गए। हो भी क्यों ना इतनी भीषण गर्मी इंसान ही सूखकर कांटा बन रहा है ऐसे में पार्क में जाकर सुबह शाम पानी नहीं दिया जा सकता।
इतनी गर्मी ऊपर से बाहर जाकर काम करवाना हो तो हालत खस्ता हो जाती है। पोस्ट ऑफिस से मिला हुआ चेक बैंक में जमा करवाना था, पर पोस्ट ऑफिस वालों की जरा सी गलती से बैंक वालों ने 2-3 चक्कर लगवा दिए। अंत में यही तय हुआ कि पोस्ट ऑफिस का चेक पुनः पोस्ट ऑफिस में ही जमा करवा दिया जाए।
गुस्सा अकस्मात उस समय आता है जब सामने वाला इंसान मदद करने के स्थान पर दो चार बातें सुना दे। इंसान को इंसान की मदद करनी चाहिए। उसके स्थान पर न जाने क्या सोच कर अलग ही राग अलापने लग जाता है। यह भी नहीं सोचता कि अगर इतनी रामायण गाथा आम जनता को पता हो तो वह बैंक की जगह खुद ही अपना काम करवा दें। खैर कोई बात नहीं काम तो होना ही था। देर से ही सही पर हो गया।
आज के लिए इतना ही फिर मिलते हैं।
शुभ रात्रि