11 जून 2022
शनिवार
समय- 9:00(रात)
मेरी प्यारी सहेली,
धरती माता उबल रही है और हम भरता बन रहे हैं। कहा जा रहा है इस बार शायद बारिश कब होगी। वैसे अधिक गर्मी की वजह से पेड़ पौधे सूख रहे हैं जिससे शायद वाष्पीकरण कम हो पा रहा हो और बारिश नहीं हो रही।
कल बहन से बात हो रही थी उसने बताया अभी तो हमारे यहां हैदराबाद में भी अच्छे से बारिश स्टार्ट नहीं हुई है। गर्मी तो यहां भी बहुत है।
गर्मी के कारण सास की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। उन्हें गर्मी सहन नहीं हो पाती उमर भी हो चुकी है। इस गर्मी में अस्थमा रोगियों के लिए और बुजुर्गों के लिए बहुत तकलीफ हो रही है।
मटका गर्मी में या शायद गुस्से में ठंडा हो ही नहीं पा रहा। अरे सखी मजाक कर रही हूं। पिछले साल लाया हुआ मटका इतना ठंडा पानी देता था लेकिन इस साल पानी मटके का बेहद गर्म मिल रहा है। मम्मी ने बताया था मटके को घिसने से पानी ठंडा हो जाता है। बस समय निकालकर वही तरकीब अपनाने का मन बना लिया। तकरीबन 1 घंटे तक मटके को घिसती रही तब जाकर कहीं थोड़ा बहुत अब मटके का पानी ठंडा हो रहा है। देखते हैं कि और कितने दिनों तक रह पाता है वरना उसे दोबारा भेजना पड़ेगा। यह तो वही बात हुई कि स्वयं को पहचानने के लिए अपने आप को आग में तपाना पड़ता है तब जाकर कहीं खरा सोना निकल कर आता है।
देश में व्यवस्थाएं उलट-पुलट हो रही हैं। आगजनी की समस्याएं भी जहां-तहां देखने को मिल रही है। राजनीति में लोग अपना उल्लू सीधा करने की भरपूर कोशिश में लगे रहते हैं।
आज के लिए इतना ही फिर मिलते हैं।
शुभ रात्रि