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कितना बदल गया इंसान

28 जून 2022

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29 जून 2022 
   मंगलवार 
 समय 11:30 रात 
 

मेरी प्यारी सहेली,
             आज बहुत दिनों बाद तुमसे फिर मिलने का समय निकाल पाई। कई बार सोच कर मन बहुत दुःखी हो जाता है कि हमारे देश की परिस्थितियां कितनी अधिक विपरीत होती जा रही है। अभी हाल ही में जोधपुर में हुई घटना दिल को दहला देने वाली है। क्या इंसान इतना क्रूर, इतना हिंसक हो चुका है कि उसमें दया, माया, ममता आदि नैतिक गुणों का ह्रास हो चुका है?
          क्यों एक इंसान का ह्रदय दूसरे इंसान के लिए नहीं धड़कता? क्यों आपसी रंजिश को मिटाकर इंसान एक साथ नहीं रह सकता? धर्म और सांप्रदायिकता के नाम से होने वाला असंतोष कब खत्म होगा पता नहीं? कब हममें चेतना का विकास होगा? या शायद जब तक चेतना आएगी तब तक धरती से मनुष्य और मनुष्यता का नाश हो जाए कुछ नहीं पता।
स्कूल में पढ़ने वाला हर बच्चा यही सीखता है कि हिंसा बुरी बात है। लेकिन आज हर जगह किसी ना किसी रूप में हिंसा दिखाई पड़ ही जाती है। लोग हर छोटी छोटी बात के लिए मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं। एक छोटी सी घटना को तूल पकड़ते देर नहीं लगती। लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए कितनी ही तरह की बयानबाजी करने लगते हैं। देशभक्ति के नाम पर भी कितनी ही तरह की उल फजूल बात करने में भी लोग कोताही नहीं बरतते।
                                               शुभ रात्रि





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