3 जून 2022
शुक्रवार
समय 10:50 रात
मेरी प्यारी सखी,
आशा करती हूं इस भट्टी के समान तपते मौसम में अच्छे से तब रही हो। बादलों के इंतजार में इस बार सिर्फ किसान ही नहीं, हर जनमानस भी दिख रहा है।
आज शुक्रवार होने से आलू की चटनी बनाई थी। अब तुम यह पूछो कि शुक्रवार से आलू की चटनी का क्या संबंध? तो संबंध यह है कि शुक्रवार के दिन आलू को आग में भूनती हूं।
सप्ताह के अन्य वार सब्जियों को भूलने के लिए वर्जित है। मंगलवार जेठ जी का जन्म वार, बुधवार इनका जन्म वार, गुरुवार को बेटे का, शनि को बेटी का और भी अन्य वारों में घर के अन्य सदस्यों का जन्म वार होने से सास का कड़ा निर्देश है कि इन दिनों आग में कोई सब्जियां भूनना नहीं है।
फिर अकेला बचा शुक्रवार। इस बार पर बहुत सारी चीजों का लोड आ जाता है। इसी दिन बैंगन का भर्ता बन सकता है, इस दिन खासकर में नाखून काट सकती हूं और भी बहुत सारे छोटे मोटे काम इसी दिन के हवाले कर दिए जाते हैं। देखा जाए तो सारे रीति नीतियां महिलाओं के लिए ही पाबंद है। पुरुष इन मर्यादाओं की सीमा रेखा में भी पाव नहीं फसाते ना ही इसके लिए उन्हें कोई कड़ा निर्देश दिया जाता है।
इस गर्मी में कोई कहीं जाने के लिए कहता भी है तो त्योरियां चढ़ जाती है। आलम ऐसा है कि नए कपड़े पहनने के नाम से भी डर लगने लगा है।
टमाटर ने भी अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। दाम इनके ₹60 किलो हो चले हैं।
गर्मी के मारे सब के सब सूखे जा रहे है। इधर पेड़ पौधे उधर इंसान दूसरी तरफ जानवर और भी न जाने क्या-क्या। गमलों में बीज लगाओ तो बीज भी सूख कर खराब हो रहे हैं पर अंकुर नहीं निकल पा रहा।।
मजेदार बात तो तब हो रही है जब बीज खरीदने जाओ तो दुकानदार भी कह रहा है गर्मी कितनी है बीजों मैं से अंकुर नहीं निकलेंगे। उनकी बात सच भी साबित हो रही है।
अभी के लिए इतना ही सोने जाती हूॅं। फिर कल भट्टी में तपने के लिए तैयार होना पड़ेगा।
शुभ रात्रि