मेरा संघर्ष कुछ ऐसा था इस धरा पर,
कहने वाले बहुत थे करने वाला कोई नहीं।
मैं फंसा था जिंदगी के भंवर में,
किनारे पर खड़े बहुत थे बचाने वाला कोई नहीं।।
पत्थर की चट्टानों से टकरा गया था मैं,
टूटती नहीं मुलायम हाथों से कोशिशें जारी थी।
तूफान बहुत आये थे जिंदगी में,
तुफानों से बच निकलने की कोशिशें हमारी थी।।
हमने तो कदम रोके नहीं ,
लोगों ने हमें पकड़ कर पीछे खींचा था।
हर उम्मीद और सपने को हमने,
खून और पसीने से सींचा था।।
ऐसे भी मौके आये थे वक्त के,
जब हम हताश होकर बैठ गये।
लेकिन हिम्मतें हमारे साथ थी,
हम मरते हुए भी सांस लेते गये।।
नाटक करते हैं बहुत यहां,
हमें विश्वास दिला देते कि हम तुम्हारे हैं।
दुनिया में दिखावा बहुत है,
पीछे से पथ बिगाड़े हमारे है।।