तेज चलती हवाएं और मधुर सुगंधित फूलों की महक जैसे संपूर्ण वातावरण को किसी विशिष्ट नशे में डुबोते जा रहा था। वही आकाश और चांदनी मणिपुर के जंगलों में अपनी धमाचौकड़ी मचा रहे थे। अभी-अभी कुछ दिन पहले ही उनका विवाह संपन्न हुआ और एकांतवास में कुछ समय बिताने के लिए मणिपुर के जंगलों में घूमने आए थे।
आकाश मूल रूप से मध्यप्रदेश के पचमढ़ी के रहने वाले थे, और सॉफ्टवेयर के एक निजी कंपनी का मालिक था। चांदनी उसी के ऑफिस में काम करने वाली एक सीनियर टेक्नीशियन एक अच्छे कद काठी की सुंदर और सुशील लड़की थी,जो महाराष्ट्र के नागरधन गांव की रहने वाली थी।
दोनों एक ही साथ काफी दिनों तक काम करते थे,और इसी दौरान उसने आकाश की मां का मन मोह लिया। आकाश भी उसे पसंद करने लगा और इस प्रकार उनका विवाह संपन्न हुआ।
हालांकि ना जाने क्यों आकाश के दादाजी चांदनी को पसंद तो बहुत करते थे लेकिन फिर भी अंतिम समय तक विवाह के लिए पूर्ण मन से तैयार नहीं हो पाए। बार-बार पूछने के बाद भी सिर्फ उनका एक ही जवाब होता...........
सुषेण की वंशज जो महाकाल के वासी है और हम कर्कोटक के वंशज जो अष्ट कुल में।
दोनों का मिलाप ना जाने क्यों ठीक ना जान पड़ता है क्योंकि कर्कोटक सुतल निवासी और सुषेण महातल निवासी, लेकिन इस आधुनिक युग में कुल, गोत्र को भला कौन मानता खुद भी ज्ञान के युग में रहने वाले विज्ञान की बातें करने वाले आज डी.एन.ए. रिपोर्ट को नहीं मानते तो फिर गोत्र और कुल की क्या मिसाल.........................
हर बार उनकी बात को पुरानी विचारधारा बोल कर टाल दिया जाता। आखिरकार आकाश की मां की जिद के सामने जिन्होंने चांदनी को ही बहू बनाने का ध्यान रखा था और उनके पिता की नजर में एक ईमानदार कर्मचारी अगर घर का सदस्य हो तो क्या बुराई.........................
आकाश की छुपी हुई चाहत इन सबमें मिलकर उसके दादा की बात को झुठला दिया, जिसे उन्होंने बड़े अत्यंत भावुक मन से स्वीकार कर ही लिया।
उन्होंने बहुत सी बातें रखी है और कहीं लेकिन हर बार यही कहते आगे तुम्हारी मर्जी??????????आखिर वह कर भी क्या सकते थे। नई पीढ़ी कहां मानने वाली थी, और विरोधाभास से कोई फायदा नहीं। यह सोचकर शांत हो गए।
विवाह के कुछ ही दिनों पश्चात आकाश की मां ने दोनों को अपनी मणिपुर में रहने वाली बहन की सलाह पर मणिपुर में घूमने भेज दिया। यहां का माहौल और खुशनुमा वातावरण दोनों को अति भा रहा था।
लेकिन वही दादाजी न जाने क्यों अत्यंत भावुक होकर घर और मंदिर के बीच की सड़के नाप रहे थे। वह दिन में दो बार मंदिर जाते और घर में भी यहां वहां परेशान से टहलते नजर आते थे। आकाश को परेशानी ना हो इसलिए उसकी मां से ही बार-बार उसका हाल पूछते। इतनी भावुकता पहले कभी किसी ने नहीं देखी थी।
इसको लेकर कल शाम ही बातों-बातों में आकाश के पिता के साथ उसकी मां की बहस भी हुई थी। वह बोल पड़ी लगता पिताजी को मेरा फैसला पसंद नहीं आया। आखिर क्या कमी है चांदनी में, और कैसी बहू चाहिए??????????
लेकिन आकाश कहीं ना कहीं दादाजी की बात मानता भी था। आखिर उसने मणिपुर आते ही अपने मौसाजी के सामने जो अनंत(शेष) स्वामी मंदिर के प्रधान ट्रेजरी थे। उत्सुकता वश पूछ लिया मौसाजी यह अष्टकुल, कर्कोटक, महायज्ञ, सुषेण, अतल, वितल यह सब क्या है??
आखिर ऐसा क्यों कि दादाजी चांदनी को पसंद करते हुए भी अपनाने से इंकार करते रहे। क्या वाकई कोई तथ्य है??????????क्या बस ऐसे ही?????????????? खैर जो भी हो, मैं भी चांदनी को पसंद करता हूं, और फिर सबके सामने शादी की है मैंने,
उसके मौसाजी ने मुस्कुराकर सिर्फ इतना कहा कि
तुम चांदनी को कब से जानते हो???और क्या विवाह पश्चात तुम उसके कुल देवता के मंदिर गए हो? क्या कभी तुमने यह उचित नहीं समझा कि विवाह पूर्व अगर दादा जी कह रहे हैं तो कि एक बार उनके परिवार से उनके कुल के विषय में भी पूछ लेते। तुम्हारी नई पीढ़ी सिर्फ और सिर्फ अपनी विचारधाराओं के आधार पर ही एक नई दुनिया बना लेते हैं
बिना कुछ सोचे विचारे। खैर छोड़ो आज मैं सिर्फ तुम्हारे पहले सवाल का जवाब देता हूं। कर्कोटक तुम्हारे कुल का स्वामी और कश्यप ऋषि की पत्नी.............................
उनके आठ पुत्र हैं, जिन्हें अष्ट कुल कहा जाता है।
1,,,, अनंत जिन्हें शेषनाग,
2,,, वासुकी जो शिवजी के गले में रहते है,
3,,, वक्षक
4,,, कर्कोटक
5,,, पज्ञ
6,,,,, महापज्ञ
7,,, संख
8,,, कुलिक
और जिस अतल-वितल कि तुम बात कर रहे हैं, वह नागलोक के नाम है जिसमें...........................
1,,अतल
2,,वितल
3,,सुतल
4,,रसातल
5,,तलातल
6,,महातल
7,,पाताल
और जिस सुषेण वंश की तुम्हारे दादाजी बात करते हैं, तलातल के निवासी है। उनकी माता का नाम क्रोधवसा है वह भी ऋषि कश्यप की ही पत्नी थी, और वह भी कुछ बताने जा रहे थे।
लेकिन तभी आकाश को झपकी आने लगी और वह सो गया..........................
आखिर ऐसा क्या शेष रह गया, जिसे काश आकाश जान लेता तो अच्छा था?? क्या था वह राज ?????
आज शेष अगले भाग में................................