*पूर्वकाल में मनुष्य का जीवन आज की अपेक्षा बहुत ही दिव्य एवं सामाजिक था | पूर्वकाल की शिक्षा एवं संस्कार इतने दिव्य थे कि उनका उपयोग करते हुए मानव मात्र आज तक लाभ ले रहा है | आज की अपेक्षा इतनी सुविधाएं तो नहीं थी परंतु यह कहा जा सकता है आज की अपेक्षा पूर्वकाल का जो ज्ञान था वह अक्षुण्ण था | लोग बिन