सपनों की धरती, बांग्लादेश की भूमि फूलों की खुशबू है , नदियों की ऊर्मि पर सत्ता के खेल में, कभी चिंगारी सी नफरत की लहरें,उफनती अंगारों सीनये संघर्ष में उठती पुरानी कहानियाँ जन
सपनों की धरती, बांग्लादेश की भूमि फूलों की खुशबू है , नदियों की ऊर्मि पर सत्ता के खेल में, कभी चिंगारी सी नफरत की लहरें,उफनती अंगारों सीनये संघर्ष में उठती पुरानी कहानियाँ जन
तानाशाही बढ़ जाती है जब सत्तासीनों की ।ऐसी ही हालत होती है बांग्लादेश के शेख हसीनों की।लोकतंत्र जनता का शासन हक को क्यों तुम छीन रहे।सत्ता की शक्ति दिखाकर क्यों बाल सिर के नोच रहे।। किया भरोसा लोगों
aअभी रविवार को हुए उपद्रवी प्रदशन मे बंगला देस की तख्ता पलट कर रख दिया है। हजारों छात्रों ने सारी हदों को पार करते हुए राजधानी ढाका में अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। इसी कारण हालात को खराब होते द
aअभी रविवार को हुए उपद्रवी प्रदशन मे बंगला देस की तख्ता पलट कर रख दिया है। हजारों छात्रों ने सारी हदों को पार करते हुए राजधानी ढाका में अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। इसी कारण हालात को खराब होते द