हिमाचल प्रदेश. छोटा राज्य है, इसलिए चर्चा में कम आता है. मगर राजनीति तो यहां भी होती है. पर इस बार जिस चीज को राजनीतिक चारा बनाया गया, उससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता. 9 अप्रैल को यहां के शहर कांगड़ा में एक स्कूल बस हादसे का शिकार हो गई थी. 27 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 23 मासूम बच्चे थे. अब इन बच्चों की लाश पर राजनीति की जा रही है. इनकी लाश को भी नफा-नुकसान के तराजू पर तौला जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 अप्रैल को इन बच्चों के शव पोस्टमॉर्टम के बाद लौटाने थे. पीड़ित परिवारीजन अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे थे. ये इंतजार बढ़ता जा रहा था. तीन घंटे बीत गए. बाद में पता चला कि उन्हें शव इसलिए नहीं दिए जा रहे हैं क्योंकि अभी सीएम साहब को आना है. श्रद्धांजलि देने. फोटो खिंचवाने. ये हो जाएगा तब ही शव दिए जाएंगे.
सीएम को आना था तो पूरे समारोह की तैयारी कर ली गई थीं. पंडाल, माइक, स्पीकर की व्यवस्था कर दी गई थी. लोगों को ये कहकर रोका गया कि सीएम फौरी राहत के चेक बांटेंगे. ये सब तो कुछ भी नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कुछ परिवार, जिन्हें रात को शव सौंपे गए थे, उनसे शव वापस मंगवाए गए कि सीएम साहब आ रहे हैं. यही नहीं, जिन तीन बच्चों की मौत पठानकोट के अस्पताल में हुई, उनके शव भी नूरपुर के अस्पताल में पहुंचाए गए.
नूरपुर में 10 अप्रैल की सुबह 6 बजे से ही बच्चों के परिवार अस्पताल के बाहर जुट गए थे. मौसम खराब था और हल्की बूंदाबांदी भी हो रही थी. इसलिए परिजन चाहते थे कि शव जल्दी उन्हें सौंपे जाए. लेकिन, अस्पताल में प्रशासन का कोई नुमाइंदा उनकी सुनने के लिए नहीं था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पोस्टमॉर्टम के दौरान एक-एक परिवार को मॉर्चरी में ले जाया गया, ताकि वे शिनाख्त कर सकें. तभी डीसी संदीप कुमार कुछ अफसरों के साथ पहुंचे. वे निर्देश दे रहे थे कि सीएम के आने पर शवों को कैसे निकाला जाना है. सीएम से जब बाद में मीडिया ने इस बारे में पूछा तो उनका कहना था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि मेरे आने की वजह से बच्चों के शवों को संस्कार के लिए ले जाने से रोका गया. मुझे सिर्फ ये बताया गया था कि अस्पताल जाना है और यहां आकर पता चला कि परिवार वाले बच्चों की लाशों के साथ इंतजार कर रहे थे.
हादसा कब हुआ?
कांगड़ा जिले के नूरपुर में 9 अप्रैल को ये बस हादसा हुआ था. बस मलकवाल इलाके के वजीर राम सिंह पठानिया मेमोरियल स्कूल की थी. शाम 4.30 बजे स्कूल से छुट्टी के बाद बस बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी. चेली गांव के पास संकरे रास्ते में एक बाइक वाले को साइड देते हुए बस कंट्रोल से बाहर हो गई और 200 फीट गहरी खाई में जा गिरी. बस में कुल 37 लोग सवार थे. 27 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 23 बच्चे (13 लड़के, 10 लड़कियां), दो शिक्षक, एक महिला और बस ड्राइवर शामिल हैं.
बच्चों की उम्र 8-14 साल के बीच थी. घायल 10 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ज्यादातर बच्चों का तो ये स्कूल में पहला दिन था. उन्होंने हाल ही में इस स्कूल में एडमिशन लिया था. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मामले की जांच के आदेश देते हुए पीड़ित परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया था. हालांकि पीड़ित परिवार सरकार से काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि बेहतर होता श्रद्धांजलि देने के बजाय मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट के सदस्य हमारे गांव आते. सड़क की हालत देखकर कुछ फैसला लेते. सिर्फ फूल-मालाएं चढ़ाकर राजनीति करना सही नहीं है.