नई दिल्ली: भारती एयरटेल अकेली ऐसी कंपनी है जिसने जियो का डटकर सामने किया है. हालांकि, इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा. 15 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब एयरटेल को बड़ा नुकसान हुआ है. दरअसल, एयरटेल को भारतीय बिजनेस में करीब 15 सालों में पहली बार घाटा हुआ है. वित्त वर्ष 2017-18 के चौथे क्वॉर्टर में भी कंपनी को प्राइसिंग के मोर्चे पर रिलायंस जियो के आक्रामक रुख का सामना करना पड़ा. इसके अलावा उसके इंटरनेशनल टर्मिनेशन रेट्स (ITR) में भी कमी आई है.
652 करोड़ का हुआ घाटा
सुनील मित्तल के नेतृत्व वाली कंपनी ने मंगलवार को जारी नतीजों में एक्सेप्शनल आइटम्स को हटाकर मार्च तक के तीन महीनों में नेट लॉस 652.3 करोड़ रुपए का रहा. सालभर पहले की इसी तिमाही में कंपनी ने 770.8 करोड़ रुपए का नेट मुनाफा हुआ था. एयरटेल में सिंगटेल की 39.5 पर्सेंट हिस्सेदारी है.
अफ्रीकी कारोबार से मुनाफा
टेलीकॉम मार्केट की लीडर कंपनी एयरटेल ने चौथे क्वॉर्टर में कंसॉलिडेटेड बेसिस पर 83 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट दर्ज किया. लेकिन, यह सालभर पहले के मुकाबले 78 पर्सेंट कम है. अफ्रीकी कामकाज में सुधार आने से कंसॉलिडेटेड बेसिस पर नेट मुनाफा हुआ है. कंपनी ने अफ्रीकी कारोबार ने 698.7 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया है.
प्राइस वॉर से घटी आय
कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू साल दर साल आधार पर 10.5 पर्सेंट घटकर 19634 करोड़ रुपए रही. भारत में डेटा और वॉयस रेट्स में और गिरावट आने के कारण ऐसा हुआ. करीब 77 पर्सेंट हिस्सा रखने वाले भारतीय कारोबार से आमदनी साल दर साल आधार पर 13 पर्सेंट घटकर 14795.5 करोड़ रुपए रही.
'ITR में कमी से पड़ा फर्क'
कंपनी के एमडी (इंडिया एंड साउथ एशिया) गोपाल विट्टल के मुताबिक, टेलीकॉम इंडस्ट्री अब भी लागत से कम वाली और घटाई गई प्राइसिंग का सामना कर रही है. इंटरनेशनल टर्मिनेशन रेट्स में कमी से इंडस्ट्री की आमदनी पर इस क्वॉर्टर में और विपरीत असर पड़ा है. कॉल रिसीव करने वाले लोकल नेटवर्क्स को इंटरनेशनल ऑपरेटर ITR का भुगतान करते हैं.
सबसे ज्यादा लगी चपत
एयरटेल के पास 30.4 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं. वहीं वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर 60 पर्सेंट से ज्यादा सब्सक्राइबर बेस को सेवा दे रही हैं. ऐसे में पहली फरवरी से आईटीआर को 45 पर्सेंट घटाकर 30 पैसे प्रति मिनट किए जाने से इन तीन कंपनियों को सबसे ज्यादा चपत लगी.
क्या होता है IUC?
आईटीआर में बदलाव से इन कंपनियों के लिए हालत बदतर हो गई क्योंकि ये पिछले साल 1 अक्टूबर से लोकल इंटरकनेक्ट चार्जेज में 57 पर्सेंट कटौती के असर से जूझ रही थीं. आईयूसी वह टेलीकॉम कंपनी चुकाती है, जिसके नेटवर्क से कॉल शुरू हुई है. यह चार्ज उस कंपनी को मिलता है, जिसके नेटवर्क पर कॉल रिसीव हो.