हिन्दू संस्कृति में अपने ईश्वर से प्रार्थना और उनकी आरती करने का चलन वैदिक काल से चला आ रहा है जिसका अपना एक विधान, एक तरीका है। आपने अक्सर देखा होगा कि ईश्वर की पूजा करने के बाद जब आरती की जाती है तो उसमें कपूर का प्रयोग अवश्य किया जाता है। धूप, अगरबत्ती के साथ कपूर को भी जलाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों?
कपूर जलाने के फायदे |
जब कपूर को जलाया जाता है तो वह बिना अपना कोई अंश छोड़े पूरी तरह जल जाता है। कपूर के पूरी तरह जलने के बाद वहां भीनी-भीनी खुशबू और ताजगी से भरा वातावरण शेष रह जाता है। इसका अर्थ आप इस संदर्भ में भी ले सकते हैं कि कपूर को जलाने वाला व्यक्ति अपने भीतर की सभी अशुद्धियों और अहंकार को समाप्त कर स्वयं को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देता है।
माना जाता है कि कपूर जलाने से वायुमण्डल शुद्ध होता है। साथ ही हानिकारक संक्रामक बैक्टीरिया नष्ट होती है। माना जाता है कि जिस घर में रोजाना कपूर जलाई जाती है। वहां की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और सकारात्मक उर्जा पैदा होती है।
अगर आप चाहते है कि आपके घर में कोई बुरी शक्ति प्रवेश न करें तो इसके लिए रोजाना शाम के समय घर पर गोबर के उपले में कपूर या गूगल रख कर जलाएं।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि अगर आप पितृदोष और देवदोष को शांत करना चाहते है तो घर में कपूर जलाएं।
सोते समय घर में कपूर जलाने से आसपास का वातावरण ठीक हो जाता है। जिससे आपको बुरे सपने नहीं आते है।
कपूर को जलाने के वै ज्ञान िक महत्व भी है। इसके अनुसार इसको जलाने से वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया नष्ट हो जाते है। साथ ही कई बीमारियों से आप बच जाते है।
कपूर आपको कई बीमारियों से भी बचा सकता है। जैसे कि कफ, मांसपेशियों में खिंचाव, गर्दन में दर्द, आर्थराइटिस आदि बीमारियों से निजात मिल जाता है।
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