जम्मू के कठुआ में एक आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप हुआ. फिर उसे मारकर लाश को जंगल में फेंक दिया. सासाराम में भी एक बच्ची के साथ बलात्कार हुआ. सूरत में भी ऐसा ही क्राइम हुआ. 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप-मर्डर के बाद देश के रेप कानूनों में सख्ती लाई गई. नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों के लिए अलग से POCSO कानून बना. पॉक्सो माने, प्रॉटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेन्सेस ऐक्ट. अलग कानून इसलिए कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों का असर ज्यादा खौफनाक होता है. बच्चों को संभाले जाने, उनकी हिफाजत करने की ज्यादा जरूरत होती है. कानून है, पर लोग कह रहे हैं कि इसे और सख्त बनाया जाना चाहिए. बहुत लोग कह रहे हैं कि बच्चों के साथ बलात्कार करने पर सीधे फांसी दी जानी चाहिए. मैरिटल रेप के खिलाफ भी कानून बनाए जाने की मांग हो रही है. मैरिटल रेप, यानी जब शादीशुदा आदमी अपनी पत्नी के साथ जबर्दस्ती सेक्स करता है.
ये भारत की बात थी. दुनिया के और देशों में इन सब चीजों का क्या हाल है? रेप के लिए कैसे कानून हैं वहां? हमने कुछ देशों का उदाहरण लिया है. अपने पड़ोसियों से लेकर दूर-दराज के देशों तक. कुछ उदाहरण भी दिए हैं.
नॉर्वे: जीने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगहों में से एक है ये देश. अगर सामने वाले की मर्जी नहीं है और आप किसी भी तरह की यौन हरकत करते हैं, तो इसको बलात्कार माना जाएगा. 4 साल से 15 साल तक की जेल हो सकती है. नॉर्वे में ऐसे अपराध कम ही होते हैं. ऐसे क्या, वहां बाकी अपराध भी बहुत कम होते हैं. जेलें खाली पड़ी रहती हैं यहां पर.
अमेरिका: यहां दो तरह के कानून हैं. एक फेडरल और एक स्टेट. स्टेट में अलग-अलग नियम हैं. जैसे फ्लोरिडा. वहां अगर बच्ची/बच्चे के साथ बलात्कार करो, तो मौत की सजा दी जाती है.
फ्रांस: बलात्कार से जुड़े कानून सख्त हैं यहां. 15 साल की कैद से लेकर 30 साल तक की जेल हो सकती है. जितना क्रूर मामला होगा, उतनी ज्यादा सजा होगी.
बेल्जियम: अगर रेप करने वाला अपना गुनाह कबूल कर ले और विक्टिम के साथ समझौता कर ले, तो वो बरी हो जाएगा.
बांग्लादेश: रेप की सजा रेप की क्रूरता के हिसाब से तय होती है. बहुत क्रूरता बरती गई हो या बच्ची के साथ रेप किया गया हो, तो फांसी दी जाती है. उम्रकैद की सजा का भी विकल्प है.
जापान: 20 साल जेल की सजा. अगर बहुत क्रूर मामला हो या फिर बलात्कार के अलावा और भी कोई क्राइम किया गया हो, तो मौत की सजा भी दी जा सकती है.
क्यूबा: 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप करने पर मौत तय है. अगर रेप के दौरान विक्टिम गंभीर रूप से जख्मी हुई है, तो भी रेपिस्ट को फांसी दी जाएगी. अगर कोई रेपिस्ट पहले भी रेप कर चुका हो, तो भी मौत की सजा का नियम है. अगर किसी को यौन बीमारी हो और उसने किसी का रेप किया, तब भी फांसी दिए जामे का नियम है.
पाकिस्तान: कुछ दिनों पहले पाकिस्तान में एक आठ साल की बच्ची के साथ रेप करके उसकी हत्या कर दी गई थी. पूरा मुल्क बौखला गया था जैसे. वहां बच्चों का रेप करने, उनका यौन शोषण करने या फिर गैंगरेप की सजा मौत है. हालांकि वहां भी बलात्कार के ज्यादातर मामलों में दोषी छूट जाता है. अक्सर ऐसा होता है कि रेपिस्ट को विक्टिम के परिवार से माफी मिल जाती है. जैसे हमारे यहां खाप पंचायतें होती हैं, वैसे ही वहां कबीलाई पंचायतें होती हैं. इन्हें फिरका कहते हैं. इन पंचायतों के फैसले बड़े खौफनाक होते हैं. मान लो किसी इंसान ने किसी औरत/लड़की का रेप किया. तो ये पंचायतें कहेंगी कि विक्टिम के परिवार का कोई मर्द रेपिस्ट के परिवार की किसी औरत का बलात्कार करे. मतलब आंख के बदले आंख. खून के बदले खून. इस्लामिक कानून, यानी शरिया में इसे ‘लॉ ऑफ रिट्रिब्यूशन’ कहते हैं.
अफगानिस्तान: अगर कोई किसी का रेप करते हुए पकड़ा गया है, तो चार दिन के भीतर फैसला हो जाएगा. सिर में गोली मार दी जाएगी या फिर फांसी पर लटका दिया जाएगा. लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता. कई बार उल्टे विक्टिम को सजा हो जाती है. 2009 में एक केस हुआ था. एक औरत के साथ रेप हुआ. रेप करने वाला उसके पति का भाई था. सगा नहीं, चचेरा-ममेरा टाइप. विक्टिम प्रेगनेंट हो गई. विक्टिम को सजा सुनाई गई. कहा गया कि रेप के लिए वो खुद जिम्मेदार है. उसके ऊपर अपने रेपिस्ट से शादी करने का दबाव डाला गया. ऐसी कट्टर सोसायटी में रेप के ज्यादातर मामले रिपोर्ट ही नहीं होते. छुपा लिए जाते हैं. इसकी वजह है समाज. रेप की शिकार हुई लड़की/औरत की इमेज खराब हो जाती है. परिवार को लगता है कि अगर रेप की बात बाहर गई, तो उनकी नाक कट जाएगी. कई बार तो विक्टिम और रेपिस्ट, दोनों का परिवार आपस में सुलह-समझौता कर लेता है. बात आई-गई हो जाती है. यहां बाल विवाह भी खूब होते हैं. तो अगर बच्ची के साथ रेप हुआ, तो लोग रेपिस्ट के साथ उसकी शादी करके जान छुड़ा लेते हैं. उनको लगता है, यही इंसाफ है.
ग्रीस, सर्बिया, रूस और थाइलैंड: कुछ खास तरह की स्थितियों में बलात्कारी छूट जाता है. उसे सजा नहीं मिलती. कैसी खास स्थितियां? एक उदाहरण है. जिसके साथ बलात्कार हुआ हो, वो सेक्स की रजामंदी देने के लिहाज से बहुत कम उम्र की हो. मतलब ऐसे मामलों में कानून मानता है कि बहुत कच्ची उम्र की लड़की सेक्स पर कैसे सहमति दे सकती है? सहमति नहीं दे सकती, लेकिन उसके साथ रेप किया जा सकता है! दूसरी बात कि अगर कोई जोड़ा एक-दूसरे के साथ रिश्ते में है, तो बलात्कारी बच जाएगा. अगर बलात्कार करने वाले का उस लड़की/औरत के साथ शारीरिक संबंध रहा हो, तो भी वो सजा से बच जाएगा.
नीदरलैंड्स: रेप को लेकर काफी सख्ती है. वहां किसी की मर्जी के बिना उसे किस करना भी क्राइम माना जाता है. नीदरलैंड्स में अगर किसी ने वेश्या के साथ रेप किया, तो उसको भी चार साल जेल की सजा हो सकती है. अगर विक्टिम मर जाती/जाता है, तो 15 साल जेल की सजा का नियम है. जिस तरह का केस है, उसी हिसाब की सजा होगी. अगर बहुत क्रूर मामला है, तो ज्यादा सख्ती बरती जाती है.
मोरक्को: यहां कानून था. कि अगर बलात्कार करने वाला उस लड़की से शादी कर लेता है, तो उसे सजा नहीं होगी. यहां का एक केस बहुत चर्चित है. अमिना फिलाली 16 साल की थी. उसका रेप हुआ. उसके ऊपर अपने बलात्कारी के साथ शादी करने का दबाव बनाया जा रहा है. तंग आकर अमिना ने आत्महत्या कर ली. अमिना की आत्महत्या के बाद वहां औरतों ने इस कानून के खिलाफ बगावत कर दी. 2014 में वहां सरकार को मजबूरन कानून में बदलाव करना पड़ा.
बहरीन, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, फिलिस्तीन, फिलिपीन्स, ताजीकिस्तान और ट्यूनिशिया में अब भी ऐसा कानून है. रेप करने वाला आदमी सजा से बचने के लिए उस लड़की/औरत के साथ शादी कर सकता है. मतलब उसके पास बचने का विकल्प तैयार होता है. सजा सुनाए जाने के बाद भी अगर वो कहता है कि मैं शादी करने के लिए राज़ी हूं, तो उसे रिहा कर दिया जाएगा.
भारत में मैरिटल रेप (पति के हाथों पत्नी का बलात्कार) के खिलाफ कोई कानून नहीं है. दुनिया के कई देश इस मामले में हमारे जैसे हैं. जहां कानून है, वहां भी बहुत पुराना नहीं है. जैसे ब्रिटेन. 1991 में वहां मैरिटस रेप के खिलाफ कानून बना. अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना ने 1993 में इसपर प्रतिबंध लगाया.
अगर विक्टिम भी नाबालिग हो और रेपिस्ट भी नाबालिग हो, तब काफी नर्मी बरती जाती है. ऐसे मामलों में सुधार पर, काउंसलिंग पर ज्यादा जोर रहता है. वैसे इसे लेकर कोई एक सा कानून नहीं है. नाबालिग माने जाने की उम्र भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग है.
कुछ चर्चित मामले
1. सियरा लियोन का एक केस सुर्खियों में आया था. 16 साल की एक लड़की थी. स्कूल में पढ़ती थी. उसका टीचर उसे अपने घर बुलाता था. कहता था, आओगी तभी परीक्षा में नंबर दूंगा. उसने उस लड़की के साथ बलात्कार किया. कई बार. वो प्रेगनेंट हो गई. विक्टिम के परिवार ने शिकायत की. टीचर का कुछ नहीं बिगड़ा. वो नौकरी करता रहा. उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. मगर विक्टिम को स्कूल से निकाल दिया गया. क्यों? क्योंकि वो प्रेगनेंट थी. सियरा लियोन में ऐसा बहुत होता है. इसी वजह से वहां स्कूल से ड्रॉपआउट हुई लड़कियों की बड़ी तादाद है. ये लड़कियां कच्ची उम्र में मां बन जाती हैं. उनका और बलात्कार की वजह से पैदा हुए उस बच्चे का, दोनों का भविष्य खराब हो जाता है.
2. सोमालिया में एक घटना हुई. कुछ नाबालिग लड़कों ने मिलकर दो लड़कियों का बलात्कार किया. रेप का विडियो बनाकर उसे इंटरनेट पर डाल दिया. जब पकड़े गए, तो कहा पैसे ले लो.
3. बोलिविया. यहां एक ‘इसतुप्रो’ नाम का क्राइम है. इसमें होता क्या है कि अगर 14 साल से 18 साल के बीच की किसी लड़की का रेप हुआ है, तो रेपिस्ट की सजा कम हो जाती है. उसे कम दोषी माना जाता है. कानून मानता है कि शायद रेपिस्ट ने ललचाए जाने या जाल में फंसाए जाने पर रेप किया होगा. मतलब रेप करने वाली की गलती कम है. जिसका रेप हुआ है, गलती उसकी ज्यादा हुई. इसी हिसाब से केस भी दर्ज होता है. ट्रायल में पूरा जोर बलात्कार का शिकार हुई उस लड़की के कैरेक्टर पर होता है. कि उसका चरित्र कैसा है? कैसा था? ऐसे ही एक मामले में जज ने टिप्पणी करते हुए कहा था. कि लड़की बलात्कार के समय चीखी-चिल्लाई नहीं थी. इसका मतलब कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.
4. केन्या में एक 16 साल की लड़की के साथ बलात्कार हुआ. गैंगरेप. फिर उसे मरने के लिए फेंक दिया. लड़की मर भी गई. उसके साथ ये सब करने वालों को घास काटने की सजा मिली. इस पर बाकी देशों में खूब खबर हुई. अंतरराष्ट्रीय दबाव में फैसला बदला गया. बलात्कारियों को गैंगरेप के लिए 15 साल जेल और उसे गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए सात साल जेल की सजा सुनाई गई.
5. इथियोपिया में एक 13 साल की लड़की से रेप हुआ. अदालत ने रेपिस्ट को बरी कर दिया. क्यों? क्योंकि जज को नहीं लगा कि वो लड़की ‘ताज़ी और कुआंरी’ थी. लड़की और उसके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी. लड़ते रहे. 15 साल बाद अफ्रीकन कमिशन ने इथियोपिया के फैसले को गलत माना. कहा कि मुल्क उसे न्यायिक सुरक्षा नहीं दे सका. विक्टिम को हर्जाना दिया गया. मगर क्या न्याय हुआ?
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