क्रिकेट कभी-कभी ‘मोहब्बते’ के नारायण शंकर की तरह लगता है. इसे न तो परिवर्तन पसंद है, न ही इसके नियम समझ में आते हैं. ऐसा ही कुछ किंग्स इलेवन पंजाब और सनराइज़र्स हैदराबाद के बीच मोहाली में हुए मैच के दौरान हुआ. जिसके बाद एक बार फिर बहस छिड़ी है कि नियमों की समीक्षा हो. डीआरएस को फुल प्रूफ बनाया जाए.
पंजाब वर्सेस हैदराबाद मैच अभी शुरू ही हुआ था. जॉर्डन का पहला ओवर बावजूद गेल के स्ट्राइक पर रहने के शांत गया था. दूसरा ओवर फेंकने भुवनेश्वर कुमार आए. भुवी की लेंथ बॉल जाकर सीधे के एल राहुल के पैड से टकराई. भुवी ने अपील की और अंपायर अनिल चौधरी ने उंगली उठा दी. हालांकि राहुल ने फ़ौरन ही रिव्यू मांग लिया. उन्हें पता था कि गेंद बल्ले से लगी है पहले. थर्ड अंपायर ने चेक किया और अंपायर का डिसीजन पलट दिया.
सब ठीक रहा लेकिन एक चीज़ छूट गई सबसे. गेंद पैड पर लगने के बाद बाउंड्री के बाहर चली गई थी. यहां क्रिकेट का एक रुल ध्यान में रखना चाहिए. जैसे ही अंपायर बल्लेबाज़ को आउट दे देता है, गेंद डेड हो जाती है. उसके बाद वो कहां गई ये मायने नहीं रखता. इसलिए राहुल के आउट होने कि स्थिति में वो गेंद डेड ही थी.
लेकिन राहुल तो नॉट आउट थे. थर्ड अंपायर ने फैसला बदला था. ऐसे में उसे चौका माना जाना चाहिए था.
भूतपूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और जानेमाने कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने भी ये गड़बड़ी पकड़ी. उन्होंने एक ट्वीट करके अपनी नाखुशी ज़ाहिर की. कहा,
“पंजाब ने एक बाउंड्री खोई. डीआरएस के इशू पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी है. आउट दिया, रेफर हुआ, निर्णय वापस हुआ. ऐसे में आप चौका कैसे खो सकते हो? ये वर्ल्ड कप फाइनल का लास्ट बॉल भी हो सकता था.”
देखिए उनका ट्वीट:
आकाश चोपड़ा सही कह रहे हैं. जब निर्णय ही पलट दिया गया तो चौका दिया जाना चाहिए था. ट्वेंटी-ट्वेंटी में जहां अक्सर क्लोज़ मुकाबले होते हैं और जीत का मार्जिन अक्सर एक-दो रन ही रहता है, वहां ऐसा ब्लंडर किसी दिन बड़ी कंट्रोवर्सी खड़ी कर देगा. इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए और कोई स्पष्ट रूल बना देना चाहिए.
वीडियो: