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बाअदब मोहब्बत 1

30 अप्रैल 2022

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Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना कृप्या मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

3 मई 2022

Vijay Nayak

Vijay Nayak

3 मई 2022

Ji thankyou ma'am 🙏🥰 jarur padhunga ma'am samay nikalkar 🙏

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रचनाएँ
बाअदब मोहब्बत
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सुरैया के पिता का निधन हो जाने के बाद उसका इस दुनिया मे कोई नही रह गया , उसके पास इतने पैसे तक नही थे कि अपने पिता के शव को कफ़न से ढक सके, इकलौता घर होने के कारण किसी से मदद मिलने की संभावना भी नही थी अगर वह मदद बुलाने जाती है तो पीछे पिता के शव के पास कौन रुकेगा बस इसी सोच मे सुबह से दोपहर हो गयी आखिरकार उसे पिता के शव को छोड़कर मदद पाने के लिए नगर की ओर आना पड़ा ।। ....... "मेरे पिताजी का अंतिम संस्कार करवाने में मदद करो" लेकिन इस नगर में शायद ऐसा कोई नही था जो बेवजह उसकी मदद करने को तैयार होता सभी ने वहीं बात कही जो उन दोनों सेठो ने उससे कही थी - "अगर एक रात के लिए हमारी हो जाये तो हम कुछ करेंगे" "सुरैया के पिता रामलाल जब तक जीवित थे उसे कभी घर से बाहर नही जाने दिया शायद वह नगर के लोगों की सोच से परिचित थे दिन में थोड़ा बहुत काम करने पर जो पैसा मिलता था उसी से घर का गुजारा चलता सुरैया को घर से बाहर ना जाने देने का मुख्य कारण उसकी खूबसूरती थी उसका दूध सा गोरा बदन किसी कि भी नियत बिगाड़ सकता था बर्फ सा सफेद चेहरा जो भी देखे अपनी पलकें झपकना भूल जाये , उसके सुंदर नाक नक्श जैसे किसी सांचे में ढालकर तरासा गया हो रामलाल ने बड़ी ही देखरेख से सुरैया को पाला और उसे आज तक नगर से छुपाता आया था सुरैया अब बीस वर्ष की हो चुकी थी पहले तो केवल उसकी सुरक्षा की ही जिम्मेदारी थी पर अब रामलाल को उसकी शादी की चिंता भी सताए जा रही थी इसी चिंता में "जिस नगर से रामलाल हमेशा उसे छुपाता आया था आज उसी नगर के हवाले छोड़ गया".... काफी देर तक कुछ मदद ना मिलने पर उसने मन ही मन फैसला कर लिया 👇👇 "पिता के अंतिम संस्कार के लिए अब जो कीमत चुकानी पड़े वह तैयार है , इसके लिये चाहे जिस्म के भूखे भेड़ियों के सामने खुद का शरीर ही क्यों ना डालना पड़े "
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बाअदब मोहब्बत

30 अप्रैल 2022
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सुरैया के पिता का निधन हो जाने के बाद उसका इस दुनिया मे कोई नही रह गया , उसके पास इतने पैसे तक नही थे कि अपने पिता के शव को कफ़न से ढक सके  इकलौता घर होने के कारण किसी से मदद मिलने की संभावना भी नही

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जिस्म के सौदागर

30 अप्रैल 2022
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तुम जो कहोगे मैं करने को तैयार हूं, बस मेरे पिताजी का अंतिम संस्कार करने में मदद करा दो मेरे पास तो कफ़न के लिए भी पैसे नही है - एक गाड़ी के रुकते ही सुरैया ने मरी आवाज में कहा गाड़ी वाला कुछ

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हॉस्पिटल में एडमिट

30 अप्रैल 2022
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अरे मदद करो इसकी जल्दी से हॉस्पिटल लेकर चलो - इंस्पेक्टर ने कहा तो बाकी कांस्टेबल दौड़ पड़े और उसे हॉस्पिटल में ले आए अब सुरैया हॉस्पिटल के आई सी यू में भर्ती थी जहाँ डॉक्टर उसका इलाज कर रह

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अपराधियों की गिरफ्तारी

30 अप्रैल 2022
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थाने में इंस्पेक्टर  (दिगेंद्र सिंह राठौड़) बैठे हुए कुछ सोच रहे थे कि तभी उनके सामने टेबल पर रखा फोन बजा हेल्लो इंस्पेक्टर दिगेंद्र राठौड़ स्पीकिंग  हेल्लो सर हमने उन चारो बदमाशों को पकड़ लिया

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मोहब्बत

30 अप्रैल 2022
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काफी देर तक उनपर यूं ही डंडे बरसाने के बाद भी जब इंस्पेक्टर का गुस्सा शांत नही हुआ तो सर ऐसे तो आप यहीं पर इनकी जान ले लेंगे - कॉन्स्टेबल ने कहा तो इंस्पेक्टर का ध्यान टूटा चारों बदमाशों के हाथ

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कुबूलनामा

30 अप्रैल 2022
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इंस्पेक्टर हॉस्पिटल से वापस थाने पहुंचे तब तक उन चारों अपराधियों का इलाज करवा दिया गया था उनके हाथ पैरो पर पट्टी और चेहरे पर भी कई जगह दवाई लगी थी उसकी हालत याद करके मुझे बार बार तुम पर गुस्सा आ

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बाअदब मोहब्बत

30 अप्रैल 2022
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मतलब ये की उसका घर वही कहीं आस पास होना चाहिए .. चलो चलते है... चारों को लॉकअप में बंद करके इंस्पेक्टर अपनी टीम लेकर निकलते है सुरैया का घर ढूंढने के लिए , हाईवे पर पहुंचकर पुलिस की गाड़ी रुकत

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नफरत या मोहब्बत

30 अप्रैल 2022
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उधर हॉस्पिटल में ..... सुरैया को होश आया तो डॉक्टर उसके पास ही बैठ गए और उसकी आंखो में देखकर कहने लगे "अब तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं, जब तक तुम पूरी तरह से ठीक नही हो जाती मेरी मर्जी के

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नफरत या मोहब्बत 1

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इंस्पेक्टर हॉस्पिटल में प्रवेश करने लगते है तभी.. अरे इंस्पेक्टर, आप इतनी रात गए कैसे आना हुआ - सामने से डॉक्टर अशोक सिंघल बाहर की ओर आते हुए कहने लगे आने से पहले एक खबर तो कर दी होती, हम आपके ल

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पिता का अंतिम संस्कार

30 अप्रैल 2022
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वहां ईधर उधर देखने पर भी कुछ नही दिखा तो इंस्पेक्टर वापस जाने को मुड़े तभी उनके पीछे से धीरे से आवाज आई इंस्पेक्टर सर... इंस्पेक्टर ने मुड़कर देखा पीछे वही नर्स खड़ी थी जो अक्सर सुरैया के साथ दिख

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बाअदब मोहब्बत 1

30 अप्रैल 2022
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कांपते हाथों से सुरैया ने वो लकड़ी हाथ मे लेकर चिता को आग लगाई तब भी नर्स ने उसे थामे रखा जैसे ही चिता को आग लगाई और वह जलने लगी सुरैया की उदास आंखे एक बार फिर आंसुओ से भर गई नर्स ने उसे संभाला और

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