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बाल-साहित्य

hindi articles, stories and books related to Bal-sahitya


कोख से निकलते ही रोने की शसकियां।
उतनी दर्द मे भी एक मुस्कान दे ज

"जुलाई की पहली तारीख। महीने की तनख्वाह का बेसब्री से इंतज़ार। बारि

जहाँ चाह वहाँ राह

       हरियाली पुर नामक एक छोटे

नंदनी रोज की तरह आज भी सुबह 5 बजे उठी थी। अपने करकमलों के दर्शन और धरती माँ को प्रणाम करते हुए सभी द

पोती बोली दादी मेरे कुछ,
टिमटिमाते सपने हैं।
छूना मुझको चाँद सितारे,
जो लगते मुझे अपन

एक चैट रूम दादी हमको भी चाहिए।
एक अच्छा मोबाइल हमको दिलाइये।

ऑफिस से लौटी मम्म

बुढ़ापे की खास कमजोरी है कि, उसमें पद की लालसा तो भयंकर हो उठती है, लेकिन वह नयी पीढ़ियों की नयी

पॉकेट मनी

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"ये ई बुक्स क्या होती है गोगी ने किया टप

दूर क्षितिज पर उड़ते बादल,
धूमिल, श्यामिल वर्णित बादल,
एक छोर

हर मुश्किल का हल हैं पापा.
कमज़ोरी में संबल हैं पापा.
पापा ने ही संवारा जीवन,
मेरा आ

  सचिन 16 साल का लड़का था।। बहुत ही होशियार बहुत ही चालक था।।। अ

🌷🌹"मित्रता और प्यार"🌹🌷

तरुण पांच साल का था.. अपनी ननिहाल जा कर वो फूला नहीं समा रहा था. आख़िरकार अपने माता पिता की पहली संता

मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ रहे है 
आँगन मे


समस्त गुरुकुल को शिक्षक दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको सादर समर्पित कुछ पंक्तियां<

सुबोध अब घर में ऊबने लगा था. लगभग ग्यारह-बारह वर्ष का बालक इस बात से अनभिज्ञ था कि किसी अज्ञात दु

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