सर्दी के मौसम मे बेदर्दी हुई,रजाई, पिया नही आयेा रे किसके लिए घर सजाई! ़ शरद शितल हवा चले घना कोहरा छा जाई, रूत मिलन के जागे जीया मे् पिया मन मे भयो रे ! झुमर गाती आ रही कोहरा झम झमा झम बरस जायो रे, तन मन नश नश हमे सताये कडाके ठंढ से रूह तक काप जायो रे ! आग से प्रेम हमे हो जाय पोआल सिंगार सजाओ रे मोटे मोटे कपडे पेहने तन दुना हो जाओ रे ! पुरे अंग ढक जाये मांथे टोपी खुब इतराओ रे, सारे पंछी घोसले मे बंद बादल खुब इतराओ रे ! पिया पिया मन तन मेरा बोले रूत मिलन कब आओ रे साथ सो जाऊ प्रेम पिया के खुशीया खुब मनाऊ रे , पिया मन मेरा भायो रे पिया नही आओ रे ! कवि -क्रान्तिराज बिहारी दिनांक -7-1-2023