मिलन को बड़ा आतूर था चपल का परिवार। बँटवारे के बाद अपना-अपना हिस्सा ले कर अलग हुए दो भाई चपल और चंचल आज आँगन के बीच में खड़ी की गई दिवार को गिरा रहे हैं। दिवार का गिराया जाना आपसी मतभेद के खत्म होने की पुष्टि कर रहा है।
दिवार के गिरते ही चपल और चंचल गले इस तरह मिले जैसे कि दोनों बहूत दूर-दूर रहते हों और बहूत दिनों के बाद मिले हों।
चंचल ने कहा ’’ इस दिवार को बहूत पहले ही गिरा देना चाहिए था। ’’
चपल ने कहा ’’ दिवार खड़ी करवाने में तुम्हारी भूमिका सबसे अहम थी।’’
चंचल ने कहा ’’ छोड़ों इन बातों को, ये सब तो पुरानी बातें हैं। ’’
चपल ने कहा ’’ हाँ भाई, आज तो इन बातों की चर्चा भी नहीं करेगे। ’’
भाई-भाई के संबंध की गाड़ी पटरी में सरपट दौड़ने लगी। उनकी माँ जो एक बेटे के घर से दुसरे बेटे के घर मुख्य द्वार से बाहर निकल कर जाती थी और जिनके भावनात्मक प्रयास से दिवार गिरी थी आज सदगति को प्राप्त हुई।
श्राद्धकर्म में बड़ा खर्चा था, सो चपल ने कहा ’’ तुमको क्या बताउं भाई, किस आर्थिक तंगी से गुजर रहा हूँ। ’’
चंचल ने कहा ’’ तुम तो जानते ही हो इस बार फसल उतनी अच्छी नहीं हुई है। ’’
फिर भी दोनों भाईयों ने बराबर का सहयोग किया और श्राद्ध पुरा हुआ। अब माँ के हिस्से की जमीन का बँटवारा होना बाकी था, चपल ने कहा ’’ माँ तो अधिकांशतः मेरे पास ही रहती थी, इसलिए जमीन मेरी होगी। ’’
चंचल ने कहा ’’ तो क्या हुआ, मैं तो माता-पिता दोनो को रखता था। ’’
आपसी विवाद इतना गहराया कि रिस्तों में दरार आई और टीन की दिवार खड़ी कर दी गई।