अपनी छोटी से छोटी बात मनवा लेने की अभ्यस्त सोनाली, अपने पिता को याद कर आज रो पड़ी है, यादें बहूत दुर तक उसको कचोट गयी है। बचपन में खिलौने, कपड़े और चॉकलेट की जीद्द पर हार मानते हुए पिताजी कह उठते थे कि ’’ मैं तुम्हारी आँखों में आँसू नहीं देख सकता। ’’ सोनाली को अपनी सहेलियों की तरह भूख हड़ताल कभी नहीं करनी पड़ी थी और भूख सहन कर पाना उसके बूते के बाहर की बात भी थी।
आज ससूराल में हजार रूपए कि साड़ी की जीद्द पे सोनाली ने भूख-हड़ताल किया तो उसके पति ने कहा ’’ तुम भूखी मर भी जाओगी तो हजार रूपए का जुगाड़ कर पाना मुश्किल है। ’’
भूख-हड़ताल का कोई फायदा न देख सोनाली ने गुस्से में आकर पति के लिए खाना ही नहीं बनाया ये सोचकर कि मेरी न सही, अपनी भूख के चलते तो बदलेगा।
मगर भूखे रहना और भूखे रखना दोनों व्यर्थ गया और शाम को उसके पति अपने लिए पाँच हजार रूपए का कोर्ट-पैंट ले आए।