मेरी पहली पढ़ी पुस्तक अब्दुल कलाम जी की विंग्स ऑफ फायर मतलब अग्निपंख,एक किताब में छपा हुवा एक महान इंसान का आम से ख़ास होने का सफ़र।।
सूर्य का उदय होना जितना निष्चित है, उतना ही यह भी निष्चित है कि मध्याह्न के उपरांत वह ढलेगा और धीरे-धीरे अस्ताचल की गोद में पहुंचकर मुंह छिपा लेगा। जीवन-प्रक्रिया के संबंध में भी यही बात है। षिषुरूप्
मेरी पहली पढ़ी पुस्तक,हिन्दी भाषा से शुरुआत हुई।समझ कुछ नहीं आता था,अक्षर ज्ञान कराया जाता था।।कापी पेंसिल स्लेट पर,लाइनें खींचा करते थे।अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ,अक्षरों का संबोधन कराते थे।।बारम्बार लिख लिख के
किताबें बहुत ही पढ़ी होंगी तुमने~पुस्तक एक संग्रह है ज्ञान का, एक संग्रह अनुभव का ,यह एक समेकन होती है अनुभूतियों की । एक विचार ,एक सोच , अर्जित एक सम्पूर्ण जीवन कैद होता है एक उत्तम पुस्तक में । पुस्त
मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !बारम्बार नमन आपको 🙏🙏बचपन में संभाला मैंने, जब अपना होश !पढ़ते देख चाचा को,जगा पढ़ने का जोश !! देखने लगा उनकी, किताबें उलट-पुलटकर !तब दादाजी मुग्ध हो,आशीष दिए
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
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