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दैनिक_प्रतियोगिता

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विज्ञान की एक शाखा का नाम है अंतरिक्ष जिसमें अंतरिक्ष में हो रही समस्त भौगोलिक घटनाओं का अध्यन किया जाता है जैसे की तारामण्डल , सौरमण्डल,  आकाश गंगा,  इस्टियौरोइड,  इत्यादि |भारत में अं

❤️🌹🍫❤️🌹🍫❤️🌹🍫❤️🌹🍫❤️🌹🍫🌹❤️किसी ने हवाओं के बरसने की बात कही ...😘किसी ने तारों के शहर चलने की बात कही ...😍किसी ने यार को हँसाया ...👰🏻किसी ने बारिश बनाया ...🌧️पर मैं ...अफ़सोस उसके लिए ये स

डियर दिलरुबा दिनांक - 23/9/22 दिन - शुक्रवार डियर दिलरुबा, आज फिर तुम्हारे साथ अपने मनोभावों को शेयर करना है,,, हर बात शेयर करने के लिए तुम ही तो हो मेरे पास जो बिना कुछ कहे मेरी सारी बातें सुनती रहती

आज समाज में जहां एक ओर इंसान के अच्छे कामों की चंद मिसालें हैं तो वहीं दूसरी ओर इंसानियत को शर्मसार करने वाले ऐसे अनेकों कारनामें देखने को मिल जाते हैं जिससे लगता है कि वाकई आज के इंसान इंसानियत की पर

वक्त बदल गया दुनिया में,बदल गई  इंसान की नीयत।हर तरफ एक शोर मचा है,शर्मसार हो रही इंसानियत।।शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो गई,व्यापार बना अमीरों का।खंडहर हो गई सरकारी शिक्षा,मोल हो गया जमीरों का।।शिक्ष

शर्मसार होती इंसानियत जब आज का टैग मिला तो मैं समझ नहीं पाया की किस मुद्दे पर लिखा जाए. क्योंकि 'शर्मसार होती इंसानियत'  इस विषय पर लिखने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है , उलटा इस विषय पर लिखने क

अब तक आपने देखा वो अपने आस - पास देखने लगी की वो जग कहा रख दी । उसे लगा कि वो अनुभव से अच्छे से लड़ाई करने के लिए , उसने जग कही रख दिया है । अब आगे            &

आज का दैनिक लेखन का विषय बड़ा ही संवेदनशील, विचारणीय और चिंतनीय है। आज देश-प्रदेश या हमारे आस-पास के कई इंसान कहलाने वाले जीवों के ऐसे-ऐसे घृणित, कुत्सित, पाशविक प्रवृत्ति के चहेरे हमारे सामने आ रहे है

धरती पर इंसानों का अस्तित्व एक बुद्धिजीवी जीव के रूप में हुआ है । इंसानों ने आदिकाल से आज तक अपने जीवन में बहुत बदलाव लाएं हैं । नई - नई खोज की , नए आविष्कार किए ,  जो किसी और जीव के लिए मुमकिन न

मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !बारम्बार नमन आपको 🙏🙏भूखे को भोजन और प्यासे को पानी !रोगी को उपचार और स्नेहील वाणी !!बड़े-बुजुर्गों और माता-पिता को सम्मान !निर्बल को सहायता और सेवक को मान !!माँगे मदद जब द

प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

शर्मसार होती इंसानियतक्यों पाक नही आज किसी की नियतक्यों नही होता इंसानियत का आगाज़ इंसानों का ये कैसा अंदाजऔरत को लाज शर्म की मर्यादा बताते हैइंसानियत खुद क्यों भुल जाते हैऔरत को सदा ही मर्दों ने

डियर काव्यांक्षी                कैसी हो प्यारी🥰 मैं कैसी हूं?आज मन अच्छा नही प्यारी अब क्यों नही है तो क्या ही बताऊं तुम्हे, और आज विषय भी ऐसा मिला शर्मसा

ईश्वर ने इस धरती को रचा है | और ईश्वर द्वारा बनायी गयी सबसे अच्छी खोज थी इन्सान | जिसमे ईश्वर ने बल के साथ-साथ बुद्धि भी डाली थी | ताकि बेजुबान पशु पक्षी सभी की मदद कर सके इंसान | किंतु कलयुग का जैसे

इंस्पेक्टर रणविजय - वेलडन 👍🏻 अर्जिता !  तुमने  समय रहते माहिरा को बचा लिया । और एक कातिल को उसकी असली जगह पहुंचा दिया । अगर तुम ना होती तो  एक कातिल खुलेआम घूमता । थैंक्यू तुमने

बचपन में जब स्वर और व्यंजन को पाटी में स्लेट से घोटा लगा-लगाकर लिखने का अभ्यास किया तो पहले दो, फिर तीन और फिर चार-चार शब्दों को जोड़-जोड़ कर पढ़ना सीखा तो सबसे पहले स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रमों

मेरी पहली पढी पुस्तक वैसे तो मैंने बहुत सी पुस्तके पढी, लेकिन सभी पुस्तके कभी भी पुरी तरह से नही पढी. जब मैं स्कूल में था तो बहुत पुस्तकें पढता था, लेकिन वो मैंने दिल से कभी नहीं पढी, मैंने उन्हें स

जीवन में पुस्तकों का अत्यन्त महत्व है। यदि जीवन की प्रथम पुस्तक की बात करें तो रंगीन चित्रों की उस पुस्तक को पहली पुस्तक कह सकते हैं जिसे सर्वप्रथम हमने विद्यालय में कदम रखने से पहले देखा था। हिन्दी औ

🤔🤔 यूं तो मुझे याद नहीं की मेरी पहली पढ़ी पुस्तक कौन है , लेकिन बचपन में राजा - रानियों की , जादुई , चंदामामा और भूत - प्रेत की कहानियां सुनने में मजा आता था और ज्यादा कहानियां सुनने की उत्सुकता होत

प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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