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पुस्तकों की दुनिया~

22 सितम्बर 2022

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किताबें बहुत ही पढ़ी होंगी तुमने~

पुस्तक एक संग्रह है ज्ञान का, एक संग्रह अनुभव का ,यह एक समेकन होती है अनुभूतियों की । एक विचार ,एक सोच , अर्जित एक सम्पूर्ण जीवन कैद होता है एक उत्तम पुस्तक में । पुस्तक का लेखक जिस स्तर पर जाकर उस पुस्तक का सृजन करता है उसका अभीष्ट ध्येय पाठक को भी उसी भाव भूमि के धरातल पर पहुंचाने की होती है। 

व्यक्तित्व के विकास में पुस्तकों की भूमिका किसी से छिपी नही है । पुस्तकों ने हर आम ओ खास के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव किये हैं । इसे यो कहा जाये तो ग़लत नही होगा कि अपने जीवन काल में जिन पुस्तकों के संपर्क में आप आये उन्हीं से आपके व्यक्तित्व के निर्माण की बुनियाद बननी आरम्भ हुई । महान क्रांतिकारी युवा भगत सिंह 23 साल की उम्र में जिस दिन फांसी पर चढ़ने जा रहे थे एक पुस्तक पढ़ रहे थे । इस बारे में एक गूढ़ तथ्य मैं और सांझा करना चाहूंगा कि पुस्तकों का चयन आपका अपना नही होता है बल्कि पुस्तकें आपको स्वयं चुन लेती हैं । 

व्यक्तिगत तौर पर मुझे पहली पुस्तक स्मरण में नहीं आती , यूँ था कि बचपन मे सहित्य से काफी लगाव था । और ये साहित्यिक भूख नैसर्गिक होती है । बाल सुलभ कथाएँ चंदामामा, नंदन और नन्हे सम्राट  की कहानियां एक अलग ही दुनिया से साक्षात्कार करवाते । कॉमिक्स की अपनी एक अलग दुनिया थी । सुपर कमांडो ध्रुव, नागराज, भोकाल, बांकेलाल ,परमाणु जैसे तमाम चरित्र जैसे अपने साथ अपनी दुनिया मे ले जाकर छोड़ जाते थे जैसे एलिस अपने वंडरलैंड में अक्सर गुम हो जाया करती थी 😊 , 

तरुणावस्था में प्रेम साहित्य का शिखरतम रूप जिस पुस्तक में अनुभूत हुआ वो थी धर्मवीर भारती की गुनाहों का देवता । उस पुस्तक का नोस्टाल्जिया आज भी जेहन में अक्सर चढ़ आता है । नायक चंदर में हर युवक स्वयं को अक्सर ढूंढ लेता है । साथ ही हर प्रेमी की प्रेयसी सुधा के व्यक्तित्व को कही जाकर स्पर्श कर ही आती है । मुझे लगता है प्रेम की सारी दर्ज कहानियां जहां दूध की नदियां बहाने, रेगिस्तान की खाक छानने , पहाड़ को काटकर रस्ता बनाने, ताज़महल बनाने जैसे प्रतिमानों से युक्त हैं तो गुनाहों का देवता एक ऐसे सामान्य से भाव धरातल पर ले जाकर छोड़ देती है जिसकी अनुभूति शर्तिया हर मध्यम सामान्य इंसान कर चुका है या कर रहा होता है ।

 यह कहानी ये बताती है कि प्रेम सींचित एक व्यक्तित्व जीवन के एक पक्ष में देवता सदृश प्रतीत होता है तो दूसरे ही पक्ष में वह गुनाहों के देवता में तब्दील हो जाता है । सुधा, बिनती और पम्मी जैसे कितने ही चरित्र आपको अपने आस पास टहलते मिल ही जायेंगे । इस कहानी का भाव पक्ष आज भी अपील करता है । बहरहाल~

क्रमशः पुस्तकों के संसार मे दाखिल हुए तो हर पुस्तक आपको एक नई सोच और दिशा देने को उत्सुक नजर आती है । प्राचीन काल की श्रृंगारिक कहानी दिव्या हो या फिर मध्यकालीन बिहारी के श्रृंगारिक दोहे , आधुनिक प्रतिमानों से इतर इन सभी मे एक अलग मांसलता अनुभुत होती है ।

 मुंशी प्रेमचंद की समस्त पुस्तकें समाज के प्रत्येक वर्ग की कहानी कहती रही हैं । गबन ,निर्मला, प्रेमा मध्यम वर्गीय समाज के सोच और ढकोसलों पर बड़ी ही शालीनता से प्रहार करती हैं । मुंशी जी के विचारों का शिखरतम सौंदर्य मुझे गोदान में परिलक्षित होता हैं । 

एक किसान के रूप में होरी की कहानी जहां भारतीय किसानी के बेचारगी से आपका नंगा परिचय करवाएगी तो मध्यम वर्गीय कोरी ठसक को मालती, राय साहब ,मेहता जैसे चरित्रों से भी परिचित कराएगी । गोदान समाज के नंगे प्रतिविम्ब के रूप में साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है ।

पुस्तकों के संसार में जाकर किसी एक पुस्तक के बारे में कुछ भी कह देना मुझे जैन स्यादवाद के उस सिद्धांत की तरह ही लगता है जिसमें सात दृष्टिहीनों ने अपने हाथ मे आये हाथी के हर अंग को जैसे सम्पूर्ण हाथी मानकर वर्णन किया था ।

यहां यह भी सत्य है कि इस लघु जीवनकाल में प्रत्येक विचारों , समस्त सोच और सारे साहित्य से परिचय सम्भव नहीं हो सकता फिर भी कुछ आधारभूत पुस्तकों से गुजरे बिना उनके अनुभव रस के पान बिना उनके ज्ञान सागर में उतरे बिना जीवन को सही रूप में ना बोधे जाने  और उसकी सार्थकता का मलाल तो बच ही जायेगा । समय निकालकर पुस्तकों को अपने जीवनचर्या में हम सभी को जरूर शामिल करना चाहिये~




"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

वाह...बहुत बहुत सुंदर किताबी यात्रा..शानदार सृजन👌👌👌👌

22 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

22 सितम्बर 2022

बहुत बहुत धन्यवाद 👏👏

Pragya pandey

Pragya pandey

बचपन की कहानियों को पढ़कर कल्पनाओं की दुनिया में सैर करते करते कब खुद की एक काल्पनिक दुनिया बन जाती थी पता ही नहीं चलता था। बेहतरीन रचना 👌👌👌बचपन की कहानियो की याद दिला दिया आपने 🙏🙏

22 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

22 सितम्बर 2022

यानी उद्देश्य पूर्ण हुआ 😊, हार्दिक शुक्रिया 🙏

Sanju Nishad

Sanju Nishad

आज हमें भी अपने बचपन की कहानियां चंदामामा , राजा - रानी की कहानियां और तिलिस्मी कहानियां याद आ गई जिसे सुनकर हम सब उन्हीं किरदारों की छाप अपने दिमाग में बना लेते थे और ऐसा लगता की इस वक्त हम उसी दुनिया में बैठे हुए हैं । 😊😊👍

22 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

22 सितम्बर 2022

जी बिल्कुल ऐसा ही तो होता था , शुक्रिया ढेरों 👏👏

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi Behtreen sach kaha aapne premchand ji ki har pushtk jiavn parichay hai godaan nirmala or rangbhumi mujhe kafi pasd hai aapne bahut hi shandar tirke se likha hai lajawab 🥰👌👌👌👌👌

22 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

22 सितम्बर 2022

ज़र्रानावाज़िश है आपकी , 😊😊 थैंक्यू सो मच💐💐

Vijay

Vijay

बहुत ही शानदार सृजन , आपकी हर रचना एक फुल स्टॉप की तरह होती है । यही पर पूर्णविराम 👌👍

22 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

22 सितम्बर 2022

बहुत शुक्रिया 🙏🙏

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रचनाएँ
दैनिक
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किताब में दैनंदिन लेखन का समावेश है ।
1

युवा भारत~

25 अगस्त 2022
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युवा भारत !क्रांति और रोमांस यानी प्रेम दोनों एक ही स्त्रोत से निकलते हैं । और ये दोनों ही बातें किसी व्यक्ति, परिवार ,समाज और देश के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को बदलने का सामर्थ्य रखते हैं । युवा होना क

2

जल संरक्षण

26 अगस्त 2022
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5

जल संरक्षण ।क्षिति जल पावक गगन समीरा अर्थात पंच महाभूत । ये वो पांच तत्व है जिनसे न केवल मानव शरीर निर्मित होता है बल्कि किरदार के खत्म होने पर इन्हीं पंच तत्वों में हम सुपुर्द भी हो जाते हैं । &

3

धार्मिक उन्माद~

27 अगस्त 2022
5
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7

धार्मिक उन्माद~धारयते इति धर्म: , अर्थात जो धारण किया जाता है वो धर्म है । धर्म की परिभाषा उसका होना और अनुपालन इतना ही शालीन और सुस्पष्ट है । हमारी चिंतन परम्परा में भी चार पुरुषार्थों धर्म,अर्थ,काम

4

अवैध निर्माण~

29 अगस्त 2022
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अवैध निर्माण ~निर्माण एक रचनात्मक प्रक्रिया है । घर का निर्माण , भवन का निर्माण , सृष्टि का निर्माण हो या व्यक्तित्व का निर्माण । नींव से लेकर अपनी परिणति प्राप्त करने तक यह एक वृहद कर्मयज्ञ का

5

हिंदी दिवस पर~

14 सितम्बर 2022
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8

हम हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी की एक सामान्य परिभाषा यही है कि यह हमारी अपनी भाषा है । भाषा , जो वास्तव में संस्कृति का एक अंग हैं । और संस्कृति की मजबूती और प्रसार आजकल अर्थ के पहियों पर गतिमान रहती

6

इंतेज़ार और सही~

14 सितम्बर 2022
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6

इंतेज़ार एक ऐसा लफ्ज़जिसमें समूचा जीवनअंगड़ाई ले सकता है ।कायनात की हर शय मानोकिसी के इंतेज़ार में ही है ।बच्चा जवान होने के इंतेज़ार मेंतो कोई फिर सेबच्चा होने की चाह रखता है ●●●●

7

बारिशें~

15 सितम्बर 2022
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बारिश एक भीगन ही नही ये एक प्रतीक है संयोग और वियोग का , जहां नीरद से निकला नीर सदानीरा में परिवर्तित हो रहा होता है । इस यात्रा में अनंत पड़ाव है । तीव्रता है तो मादकता भी , पर्वतों पर कलकल करती मीठी

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मानव एक पूंजी ~

15 सितम्बर 2022
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5

मानव एक संसाधन है । एक ऐसी पूंजी जिसके हाथों ने सदियों से इस सृष्टि को अथक रूप से निरंतर गढ़ा है । सृजन से लेकर विनाश तक अनेकों बार सृष्टि के खेल को देखते ,समझते और सहेजते मानव ने आज वो मुकाम हास

9

पितृ पक्ष~

16 सितम्बर 2022
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श्रद्धया इदं श्राद्धम्‌ (जो श्र्द्धा से किया जाय, वह श्राद्ध है।) भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है।पितृ पक्ष यानी पित

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नारीवाद~

17 सितम्बर 2022
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नारीवाद~एक इंसान के तौर पर जब हम इस धरती पर आते है तो सबसे पहला सानिध्य जिससे होता है वो एक नारी है, एक बुभुक्षु के तौर पर हमें कराई गयी पहली क्षुधा पूर्ति का माध्यम एक नारी होती है , और तो और हमारे स

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मिमी कहानी एक माँ की ~

17 सितम्बर 2022
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6

रिश्ता ! क्या होता है ये रिश्ता और इनके मायने क्या होते हैं ? कौन देता है इन्हें मां बाप ,भाई बहन और ऐसे अनेकों नाम, साथ ही इनमे जन्म लेती और पल्लवित होती भावनाएं और एक अपनत्व को जतलाता हुआ अख्त

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अंधविश्वास~

18 सितम्बर 2022
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9
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अंधविश्वास~आंख मूंद कर किया जाने वाला विश्वास ही अंधविश्वास है । तर्क से परे होकर किसी भी व्यवस्था और विचार को स्वीकारना और उसका अनुकरण करना ही अंधविश्वास है । यहां व्यवस्था और वो विचार किसी भी

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बात इक रात की~

18 सितम्बर 2022
5
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7

नींद की आगोश में जाने से पहले वो दोनों एक दूसरे की नींदे चुराते थे । दिन भर की सारी थकन को निचोड़ कर जब वो बिस्तर के सिरहाने से अपने नर्म गालों को छिपाती थी , तो कानों में इयरफोन के मार्फत वो महसूस कर

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कभी कभी अक्सर~

19 सितम्बर 2022
4
4
8

इक शब गुजर गई फिर से उसकी प्यास से हारकर , गुम गए कुछ सितारे जो यूँ ही उग आए थे रेगिस्तानी आकाश पर गैर मापे पूरे दिन को , इक उम्मीद बुझ गयी फिर से संभावनाओं की गोद में मुँह छिपाकर । .इक गम फिर से अधूर

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एक तुम्हारा होना~

19 सितम्बर 2022
8
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एक तुम्हारा होना~तुमसे कही बातों का कोई अंत क्यो नही मिलता । हर बार कहकर सोचता हूँ अब आखिरी बात तो कह डाली मैंने , पर देखो न अंतिम दफा की कहन अपनी मेढ़ को तोड़कर बह चुकी है किसी ओर , और अब मैं इसे शब्द

16

क्या लिखूँ का सवाल ~

20 सितम्बर 2022
1
1
2

अक्सर ऐसा होता है कि इंसान प्यार को भूलने की क़वायद में उसे लिखने लगता है । प्यार को लिखना उसको भूलने की भरसक कोशिश होती है । प्रेम की लेखनीय अभिव्यक्ति उस पीर से निज़ात पाने की कोशिश है । यकीन ना हो तो

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कोरोना काल और डायरी के पन्ने~

20 सितम्बर 2022
1
1
2

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ये कहते हुए अरस्तू को कोरोना जैसे "अति सामाजिक " प्राणी का ख्याल शायद रहा हो ना रहा हो लेकिन मनुष्य के सहअस्तित्व को चुनौती देता ये सूक्ष्म दानव आज एक बार फिर से भागती दौड़त

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जैविक खेती~

21 सितम्बर 2022
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6
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जैविक खेती।।मानव सभ्यता के विकास में सर्वप्रथम क्रांति खेती की खोज थी । तकरीबन दस हज़ार वर्ष पूर्व इसे नवपाषाण क्रांति के रूप में भी जाना जाता है । खेती यानी मनुष्य के मनुष्यता की गाथा । खेती यानी जानव

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पुस्तकों की दुनिया~

22 सितम्बर 2022
11
7
10

किताबें बहुत ही पढ़ी होंगी तुमने~पुस्तक एक संग्रह है ज्ञान का, एक संग्रह अनुभव का ,यह एक समेकन होती है अनुभूतियों की । एक विचार ,एक सोच , अर्जित एक सम्पूर्ण जीवन कैद होता है एक उत्तम पुस्तक में । पुस्त

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क्या लिखूँ ~

24 सितम्बर 2022
3
2
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मैं चाहता था कुछ ऐसा लिखूं जो कुछ अद्भुत बन जाये, कुछ ऐसा जो लेखन की मापनी में ना समाया जा सके , मैंने बहुत सोचा , मन के पतंगे की करनी साधी , उसे कल्पना के नवनीत नभपटल में ले जाकर छोड़ा , हर बार उसके ब

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क्षमा करना हिंदी मां !

24 सितम्बर 2022
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1

साहित्य एक पवित्र नदी की तरह है । एक ऐसी नदी जिसमे स्नान करके मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है । ये वो गंगा है जिसके पवित्र जल से सभ्यताएं तक पुनीत होती आयी है ।... साहित्य रूपी गंगा क

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ग्राम गमन~

4 अक्टूबर 2022
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3

गांव जाता हूँ तो टुकड़ा टुकड़ा हो जाता हूँ , गाँव यानि जड़ें , जहां जीवन बसता है , जहां से प्राण तत्व निकलता है मानो , हालांकि जड़ों की शुष्क कठोरता भी एक अदद सच्चाई है , जड़ों तक पहुचने की बेचैनी अक्सर पत

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जब मिलना समंदर से~~

4 अक्टूबर 2022
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3

पत्थरों के किनारे ओढ़ रखे है दरिया ने , राहगीर देखते है , अक्सर समझते है , कौन स्पर्श करे इन्हें , अगर ये फूट गए , तो कौन रोकेगा उमड़ते हुए नीर को, कौन संभालेगा इसकी पीर को

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शायद हो~

7 अक्टूबर 2022
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शायद हो...इस जहां के पार एक दूसरा जहां ,जहां ना हो कोई नफ़रतें ना शिकवे ना गिले,, जहां लोग एक दूसरे से हंस के मिले तो बस हँस के ही मिले ,, ऐसा एक जहाँ , जिसकी जमीं पर तानों के कांटे ना चुभते हो , ,हां

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दीपावली~

23 अक्टूबर 2022
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त्योहार दीवाली का है तो मन वीणा के तार झंकृत ना हो जाये ऐसा संभव कैसे हो सकता है ।त्योहार की संकल्पना वास्तव में भारतीय परंपरा का एक अद्भुत पहलू है , जिसमे अंतरिक्ष की ज्यामिति , भूगोल की तारतम्यता ,

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5जी तकनीक ~

3 नवम्बर 2022
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बचपन की यादों में अक्सर आसमानी रंग के वो दो पन्ने याद हो आते है ,जिसे अंतरदेशी कहा जाता था , जो आपस मे जुड़े होकर अपने ऊपर लिखी इबारतों से न जाने कितनी दूर बैठे दो लोगों को जोड़ने का काम करते थे ।

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वैश्विक जलवायु परिवर्तन~

5 नवम्बर 2022
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जब भी जलवायु परिवर्तन की बात होती है । ना जाने कहाँ से उस विशाल अजगर की कहानी ज़ेहन में तैरने लगती है ,जो इतना विशाल था जितना स्वयं में एक टापू हो। जिसकी सुषुप्त अवस्था में उसके तन पर हरे भरे मैदान को

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