किसी भी देश के प्राण तत्व उसके युवा होते हैं। उनकी प्रतिभा, पौरुष, तप, त्याग और गरिमा राष्ट्र के लिए गर्व का विषय होता है। युवाओं का पथ, संकल्प और कर्म राष्ट्रीय पराक्रम और प्रताप के प्रतीक होते हैं। युवा शक्ति किसी भी देश की दूसरी पंक्ति होते हैं। वे कल के कर्णधार होते हैं, जिन्हें देश का नेतृत्व कर अपनी शक्ति, सामर्थ्य और साहस से देश को विकास के सर्वोच्च शिखर तक पहुँचाने का दायित्व होता है। कठोपनिषद में युवा शक्ति को स्पष्ट करते हुए लिखा गया है कि - " जिनकी ऊर्जा अक्षुण्ण, जिनका यश अक्षय, जिनका जीवन अंतहीन, जिनका पराक्रम अपराजेय, जिनकी आस्था अडिग और संकल्प अटल होता है, वह युवा है। "
आज का हमारा भारत युवा भारत है। क्योँकि आज विश्व में यही सर्वाधिक युवाओं वाला राष्ट्र है। यही कारण है आज हमारा देश आज तीव्र गति से विकास करते हुए विश्व की अग्रणी पंक्ति में खड़ा है। यहाँ युवा हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं। खेल में युवा खिलाडी एशियाड, ओलम्पिक हो या अन्य खेल विश्व की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर निरंतर स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब होकर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। युवा शिक्षक निष्ठापूर्वक अध्यापन कार्य कर रहे हैं तो युवा साहित्यकार राष्ट्र के उत्थान हेतु गईं और लेखों से राष्ट्रीयता के बीज बो रहे हैं। युवा डॉक्टर अपनी आय से अधिक मरीज के मर्ज को दूर करने का यत्न कर रहे हैं। युवा कृषक आधुनिक उपकरणों से सघन खेती कर पैदावार बढ़ा रहा है। युवा वर्ग सहकारी समितियों, सहकारी बैंकों से ऋण लेकर लघु उद्योग के माध्यम से अपना हुनर तराश रहे हैं, जिससे उनकी और देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। विज्ञान के क्षेत्र में युवा नए-नए आविष्कार कर जनजीवन को सरल और सुखी बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। अभिनय, संगीन तथा गायन में युवा अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन कर राष्ट्र के भाल को उन्नत करते हुए जनता का स्वस्थ मनोरंजन प्रदान कर रहे हैं।
आज की वर्तमान परिस्थितियों में देश के युवाओं से देशवासियों को अपेक्षा है कि वे आंदोलन, हड़ताल हो या धार्मिक विषय उन्माद में आकर राष्ट्रीय संपत्ति को क्षति पहुँचाने के स्थान पर देशहित को सर्वोपरि रखते हुए गहन सोच-विचार कर अपना आक्रोश समाज में व्याप्त अनेक पाखंडों और कुप्रथाओँ को उखाड़ फेंकने में उतारे। वे दहेज़, ऊंच-नीच का भेदभाव, नारी शोषण-उत्पीड़न, चोरी, छीना -झपटी, रूढ़िग्रस्त परम्पराएं और अहितकर प्रथाओं का विरोध कर स्वस्थ राष्ट्र और समाज का निर्माण करने में अपना अहम योगदान करें।