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भाई-बहन का स्नेहिल बंधन है रक्षाबंधन

10 अगस्त 2022

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हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग प्रकार के धर्म,  जाति,  रीति,  पद्धति,  बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों के अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार हैं,  जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौहार, पर्वादि हमारी भारतीय संस्कृति की अनेकता में एकता की अनूठी पहचान कराते हैं। रथ यात्राएं हो या ताजिए या फिर किसी महापुरुष की जयंती, मन्दिर-दर्शन हो या कुंभ-अर्द्धकुम्भ या स्थानीय मेला या फिर कोई तीज-त्यौहार जैसे- रक्षाबंधन, होली, दीवाली, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, शिवरात्रि, क्रिसमस या फिर ईद सर्वसाधारण अपनी जिन्दगी की भागदौड़, दुःख-दर्द, भूख-प्यास सबकुछ भूल कर मिलजुल के उल्लास, उमंग-तरंग में डूबकर तरोताजा हो उठता है।

इन सभी पर्व, उत्सव, तीज-त्यौहार, या फिर मेले आदि को जब जनसाधारण जाति-धर्म, सम्प्रदाय से ऊपर उठकर मिलजुलकर बड़े धूमधाम से मनाता है तो उनके लिए हर दिन उत्सव का दिन बन जाता है। इन्हीं पर्वोत्सवों की सुदीर्घ परम्परा को देख हमारी भारतीय संस्कृति पर "आठ वार और नौ त्यौहार" वाली उक्ति चरितार्थ होती है। परिवर्तन समाज की अनिवार्य प्रक्रिया है, युग का धर्म है। परिवर्तन हमारी संस्कृति की जीवंतता का प्रतीक है।  इसने न अतीत की विशेषताओं से मुंह मोड़ा ना ही आधुनिकता की उपयोगिता को अस्वीकारा, तभी तो महाकवि इकबाल कहते हैं-

"यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट गये जहाँ से ।

अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ।।

कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।

सदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ।।"

रक्षाबंधन पर्व बहिन द्वारा भाई की कलाई में राखी बांधने का त्यौहार भर नहीं है, यह एक कोख से उत्पन्न होने के वाले भाई की मंगलकामना करते हुए बहिन द्वारा रक्षा सूत्र बांधकर उसके सतत् स्नेह और प्यार की निर्बाध आकांक्षा भी है। युगों-युगों से चली आ रही परम्परानुसार जब बहिन विवाहित होकर अपना अलग घर-संसार बसाती है और पति, बच्चों, पारिवारिक दायित्वों और दुनियादारी में उलझ जाती है तो वह मातृकुल के एक ही मां के उत्पन्न भाई और सहोदर से मिलने का अवसर नहीं निकाल पाती है, जिससे विवशताओं के चलते उसका अंतर्मन कुंठित हो उठता है। ऐसे में ‘रक्षाबंधन‘ और भाई दूज, ये दो पर्व भाई-बहिन के मिलन के दो पावन प्रसंग हैं। इस पावन प्रसंग पर कई  बहिन बर्षों से सुदूर प्रदेश में बसे भाई से बार-बार मनुहार करती है-

"राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना

अबकी बार राखी में जरुर घर आना

न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना

बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना

मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना

राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना

अबकी बार राखी में जरुर घर आना "

गाँव-देश छोड़ अब तू परदेश बसा है

बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है

बूढ़ी दादी और माँ का है एक सपना

नज़र भरके नाती-पोतों को है देखना

लाना संग हसरत उनकी पूरी करना

राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना

अबकी बार राखी में जरुर घर आना

भागदौड़ भरी जिन्दगी के बीच आज भी राखी का त्यौहार बड़े उत्साह और उमंग से मनाया जाना हमारी भारतीय संस्कृति की जीवंतता का परिचायक है।  इस अद्भुत्, अमूल्य, अनंत प्यार के पर्व का हर बहिन महीनों पहले से प्रतीक्षा करती है। पर्व समीप आते ही बाजार में घूम-घूम कर मनचाही राखी खरीदती है। वस्त्र, आभूषणों आदि की खरीदारी करती है। बच्चों को उनके मामा-मिलन के लिए आत्मीय भाव से मन में उत्सुकता जगाती है। घर-आंगन की साफ-सफाई करती है। स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर और नये कपड़ों में सज-धज परिवार में असीम आनंद का स्रोत बहाती है। यह हमारी भारतीय संस्कृति की विलक्षणता है कि यहाँ देव-दर्शन पर भेंट चढ़ाने की प्रथा कायम है, अर्पण को श्रृद्धा का प्रतीक मानती है। अर्पण फूल-पत्तियों का हो या राशि का कोई फर्क नहीं। राखी के अवसर पर एक ओर भाई देवी रूपी बहिन के घर जाकर मिष्ठान, फूल, नारियल आदि के साथ "पत्रं-पुष्पं-फलं सोयम" की भावना से यथा सामर्थ्य दक्षिणा देकर खुश होता है तो दूसरी ओर एक-दूसरे की आप-बीती सुनकर उसके परस्पर समाधान के लिए कृत संकल्पित होते हैं।  इस तरह यह एक तरफ परस्पर दुःख, तकलीफ समझने का प्रयत्न है, तो दूसरी ओर सुख, समृद्धि में भागीदारी बढ़ाने का सुअवसर भी है।

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

बहुत बेहतरीन लाजवाब रचना 👌

10 अगस्त 2022

Dharmendra Kumar manjhi

Dharmendra Kumar manjhi

राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना अबकी बार राखी में जरुर घर आना न चाहे धन-दौलत, न तन का गहना बैठ पास बस दो बोल मीठे बतियाना मत गढ़ना फिर से कोई नया बहाना राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना अबकी बार राखी में जरुर घर आना " बहुत सुन्दर ...............

10 अगस्त 2022

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रचनाएँ
लोक पर्व व सामयिक चिंतन (दैनन्दिनी-अगस्त, 2022)
5.0
इस माह की दैनन्दिनी में आपको विविध विषयों के अंतर्गत जहाँ एक ओर हमारे सामाजिक चिंतन में मित्रता और आज़ादी के गर्व और खेलों के महत्व को समझने-पढ़ने को मिलेगा वहीँ दूसरी ओर सनातन धर्म की महानता के साथ ही लोक जीवन में रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस और गणेशोत्सव जैसे लोक पर्वों की झलक देखने को मिलेगी। इसके साथ ही आपको देश व समाज में फैली जातिगत, शरणार्थी, सांस्कृतिक बहिष्कार, भड़काऊ भाषण व जल संरक्षण जैसी समस्याओँ का सामयिक चिंतन पढ़ने और विचार करने को मिलेगा।
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मित्रता के मायने

3 अगस्त 2022
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आज का समय आभासी दुनिया में डूबी दोस्ती–यारी का है। आज दुनिया में एक दिन फ्रेंडशिप डे का हो-हल्ला मचाकर दोस्त बनाने का समय है, जो साल भर में एक दिन आकर हमें भूले-बिसरे, नए-पुराने दोस्तों की याद दिलाता

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आज़ादी के गर्व का महोत्सव

4 अगस्त 2022
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  इन दिनों पूरे देश में हमारी स्वत्रंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर उसे 'अमृत महोत्सव' के रूप में मनाने की धूम मची हुई है। यह महोत्सव विविध उद्देश्य पूर्ति के लिए देश भर में मनाया जा रहा है।  जहाँ ए

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काल विश्व का स्वामी है

5 अगस्त 2022
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संत कबीर जी कहते हैं कि- "  काल करे सो आज करै, आज करे सो अब । पल में परलय होएगी, बहुरि करैगो कब।।" अर्थात कल का नाम काल है, इसलिए मनुष्य को जो भी काम करना है, उसे कल पर नहीं टालना चाहिए।  क्योंकि क

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दोस्ती-यारी के मायने

6 अगस्त 2022
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दोस्ती एक अनमोल गहना है। इस बारे में विचार करने से पहले हमें दोस्ती क्या है, दोस्त कौन है, कैसा है, इसे अनिवार्य रूप से परखने और समझने की  आवश्यकता है। बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि हमें अपने मित्रों का

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मित्र के घर का रास्ता कभी लम्बा नहीं होता है

7 अगस्त 2022
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मित्र के घर का रास्ता कभी लम्बा नहीं होता है।। मित्रों का भला करने वाला अपना भला करता है।। बिना विश्वास कभी मित्रता चिर स्थाई नहीं रहती है। मैत्री में महज औपचरिकता अधूरेपन को दर्शाती है।। दूसर

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खेलों का महत्व

8 अगस्त 2022
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मेरे मत से समय बिताने के लिए, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तथा मन को सुदृढ़ करने के लिए जिन खेलों को खेलने के लिए राष्ट्रमंडल देश मिलकर आयोजन करते हैं, उसे कॉमनवेल्थ गेम्स कहना उचित होगा। इंग्लैंड के बर्

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भाई-बहन का स्नेहिल बंधन है रक्षाबंधन

10 अगस्त 2022
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          हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग प्रकार के धर्म,  जाति,  रीति,  पद्धति,  बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों के अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार हैं,  जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने क

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पावन पर्व रक्षाबंधन आया है

11 अगस्त 2022
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रिमझिम सावनी फुहार-संग पावन पर्व रक्षाबंधन आया है घर-संसार खोई बहिना को मायके वालों ने बुलाया है   मन में सबसे मिलने की उमंग धमा-चैकड़ी मचाने का मन है पता है जहाँ सुकूं भरी जिंदगी  वह बचपन

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स्वतंत्रता आन्दोलन में साहित्यकारों की भूमिका

15 अगस्त 2022
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यह सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। यह हमारे राष्ट्रीय जीवन में हर्ष और उल्लास का दिन तो है ही इसके साथ ही स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों का पुण्

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स्वतंत्रता आंदोलन के नायक

16 अगस्त 2022
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अंग्रेजों की अन्यायपूर्ण, विश्वासघाती और अपमानजनक, राज्य-विस्तार की नीतियों के साथ ही भारतीय और अंग्रेज सैनिकों में भेदभाव का व्यवहार जब चारों ओर फैला तो जनमानस में भारी असंतोष उत्पन्न हुआ तो प्रथम स्

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जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान

17 अगस्त 2022
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हमारे हिन्दू धर्म को सनातन धर्म के नाम से जाना जाता है। इसे सृष्टि का आदि धर्म भी कहते हैं।  इस धर्म के मानने वालों को गुण और कर्म के अनुसार विभिन्न वर्णों में विभक्त कर हमारे समाज के निर्माता ऋषि-मुन

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रोहिंग्या : शरणार्थी या अवैध घुसपैठ

18 अगस्त 2022
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रोहिंग्या : शरणार्थी या अवैध घुसपैठ यह यक्ष प्रश्न है? इसका उत्तर वर्तमान परिदृश्य में स्पष्ट रूप में दे पाना किसी के लिए भी संभव नहीं होगा। फिर भी समूची दुनिया इस बात से अनविज्ञ नहीं कि हमारी भ

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सनातन धर्म की महानता

21 अगस्त 2022
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धार्मिक विचार दृटि से ईश्वर, देवी-देवता, देव-दूत (पैगम्बर) आदि के प्रति मन में होने वाले विश्वास तथा श्रद्धा के आधार पर स्थित कर्त्तव्यों, कर्मों और धारणाओं को, जो भिन्न-भिन्न जातियों और देशों में अलग

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ऑनलाइन Vs ऑफलाइन शिक्षा

22 अगस्त 2022
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ऑफलाइन Vs ऑनलाइन शिक्षा पर विचार करने से पहले हमें शिक्षा क्या होती हैं. इस पर थोड़ा विचार कर लेना चाहिए। वस्तुतः शिक्षा का अर्थ है -अधिगम, अध्ययन तथा ज्ञानाभिग्रहण। शिक्षा-शास्त्री टी. रेमांट का

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संस्कृति के बहिष्कार का प्रचलन

23 अगस्त 2022
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किसी भी देश की संस्कृति उसकी आत्मा होती है। संस्कृति हमें राह बताती है तो सभ्यता उस राह पर चलाती हैं। सभी जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और समाज एवं संस्कृति मानवता के विकास के

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भड़काऊ भाषण

24 अगस्त 2022
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हमारा भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक राष्ट्र है।  लोकतंत्र की आधारशिला चुनाव है।  इसलिए यहाँ नियमित रूप से से पांच वर्ष में चुनाव होते हैं। चुनाव का अर्थ है प्रत्याशियों का जनता के दरबार में पहु

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देश के प्राण तत्व होते हैं युवा

25 अगस्त 2022
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किसी भी देश के प्राण तत्व उसके युवा होते हैं। उनकी प्रतिभा, पौरुष, तप, त्याग और गरिमा राष्ट्र के लिए गर्व का विषय होता है। युवाओं का पथ, संकल्प और कर्म राष्ट्रीय पराक्रम और प्रताप के प्रतीक होते हैं।

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जल संरक्षण

26 अगस्त 2022
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           यह सार्वभौमिक सत्य है कि जीव-जगत में ऑक्सीजन की तरह ही जल भी प्राण तत्व है। इसके बिना न तो मनुष्यों का और ना ही पृथ्वी पर पलने वाले अन्य प्राणियों का काम चलता है। इसलिए यह कहना अतिश्योक

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धार्मिक उन्माद भारत माता के भाल पर कलंक है

27 अगस्त 2022
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हमारा भारत धर्म-निरपेक्ष देश है।  विभिन्न धर्मों में पारस्परिक सहिषुण्ता धर्म-निरपेक्ष है। धार्मिक-उन्माद को रोकने का नाम है- धर्म-निरपेक्षता।  यह कार्य आदिकाल से चल रहा है।  इस सम्बन्ध में अथर्ववेद  

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अवैध निर्माण

29 अगस्त 2022
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अभी कल रविवार की बात है सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोयडा स्थित अवैध निर्माण कर बनाया गया देश के सौ मीटर सबसे ऊंचे ३२ और २९ मंजिला ट्विन टावर को विस्फोट से ध्वस्त कर दिया गया।  यह हमारे देश में अवैध निर्

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सामाजिक एकाकार का उत्सव है गणेशोत्सव

31 अगस्त 2022
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हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है।

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