मित्र के घर का रास्ता कभी लम्बा नहीं होता है।।
मित्रों का भला करने वाला अपना भला करता है।।
बिना विश्वास कभी मित्रता चिर स्थाई नहीं रहती है।
मैत्री में महज औपचरिकता अधूरेपन को दर्शाती है।।
दूसरों से तुलना करने पर दोस्त भी दुश्मन बन जाता है।
दो मित्रों के विवाद में निर्णायक बन एक गंवाना पड़ता है।।
सच्चा मित्र दूसरों को हमारे गुण पर अवगुण हमें बताता है।
मित्र वही जो हर अच्छे-बुरे वक्त में साथ नही छोडता है।।
झूठे मित्रों की जुबाँ मीठी लेकिन दिल बहुत कडुवे होते हैं।
मित्र सांरगी के तार जैसे ज्यादा कसे तो बिखर जाते हैं।।
अनपरखे मित्र अनतोड़े अखरोट की तरह होते हैं।
विपत्ति में सच्चे-झूठे मित्र पहचान लिए जाते हैं।।