डियर काव्यांक्षी
सुप्रभात प्यारी 🥰 तुम्हे पता है आज राजस्थान में बछ बारस यानी गोवत्स द्वादशी के त्यौहार को बड़ी उमंग से मानते हुए नज़र आ रही है।
व्रत पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को बछ बारस
मनाया जाता है।
काव्यांक्षी यह त्योहार संतान की कामना व उसकी सुरक्षा के लिए किया जाता है। इसमें गाय-बछड़ा और बाघ-बाघिन की मूर्तियां बना कर उनकी पूजा की जाती है। व्रत के दिन शाम को बछड़े वाली गाय की पूजा कर कथा सुनी जाती है फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
बछ बारस के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
फिर दूध देने वाली गाय को बछड़े सहित स्नान कराएं, फिर उनको नया वस्त्र चढ़ाते हुए पुष्प अर्पित करें और तिलक करें
काव्यांक्षी मैंने बचपन से मम्मी और घर की औरतों को इस दिन असली गाय और बछड़े की पूजा करते देखा है।
इस दिन गाय का दूध, दही, गेहूं और चावल खाने का उपयोग नहीं करते
और अंकुरित मोठ, मूंग, तथा चने आदि को भोजन में उपयोग किया जाता है और इन्हीं से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है।
इस दिन चाकू द्वारा काटा गई कोई भी खाने की वस्तु भी खाना वर्जित होता है।
तो काव्यांक्षी अब मैं भी चली अपने बच्चों के लिए ये पूजा करने फिर मिलते है
काव्या