प्यारी काव्यांक्षी
कैसी हो सखी। तुमसे मुलाकात का समय ही नहीं मिल पा रहा प्यारी मैं भी क्या करू एक ये त्यौहार और ज्वाइन फैमिली कितना काम हो जाता तुमसे थोड़े ही छिपा है और अब तो अपनी मुलाकात लम्बे समय तक नहीं होने वाली अरे सुन तो लो वजह तो पहले ही मुंह फुला रही हो हद करती हो तुम भी😀
वो क्या है ना अभी थोड़ी तबियत ठीक भी नहीं रहती और और कुछ निज़ी कारण भी है तो पता नहीं तुमसे अब मिलना हो मुझे भूल न जाना सखी 🥰
कान्हा जी के बारे में विषय मिला है तो अब थोड़ा कान्हा जी के बारे में भी बात कर लेते है
हम सबको जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि काफी धूम-धाम से भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है लोग काफी विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और उत्सव मनाते हैं
सबके प्यारे जिस पर हर मन हारे
प्रिय पुत्र, भ्राता सच्चे सखा
सभी के प्राण प्यारे
ब्रज की जान गोकुल की शान
यशोदा मैया के आंखों के तारे
गोपियाँ दर्शन की प्यासी
हर मन कान्हा प्रेम का अभीलासी
राधा मन कान्हा कान्हा उचारें
हर धड़कन राधा की मनमोहन को पुकारें
गिरधर ही है मीरा की आस
रुक्मणी की चले कृष्ण नाम से साँस
प्रीत की डोरी से कन्हैया बाँधे
बिगड़े काम मुरली धर साधे
माखन मिश्री सी जीवन में सबके भरें मीठास
कान्हा पूरी करे हर मन की अधूरी आस
डगमगयें ना कभी विस्वास
कान्हा बसे हर सांस
कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को शुभकामनाएं
कान्हा जी मिटायें सबकी विपदायें
अब जाना होगा प्यारी काव्यांक्षी अपना ख्याल रखना प्यारी 🥰😗
काव्या