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डियर काव्यांक्षी (धार्मिक उन्माद)

27 अगस्त 2022

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डियर काव्यांक्षी

               कैसी हो प्यारी सखी 🥰 मैं अच्छी हूं।
जैसा कि तुम्हे पता ही है । आज का दैनिक विषय धार्मिक उन्माद तो सखी धर्म के बिना धार्मिक होना संभव नही है और धर्म और धार्मिक उन्माद में जरा फर्क जान ले ,

                  काव्यांक्षी धर्म वो है जिसे अपनाने से जीवन की दिशा तय करते है है धर्म हमे इंसानियत, दया ,अहिंसा का भाव सिखाता है। धर्म अपनाकर हम खुद का परिवार समाज और देश को प्रगति की राह पर ले जाते है । सच्चा धर्म कभी किसी का अहित करना भी सिखाता न नुकसान पहुंचाने की सोच को पनपने देता है।
               धर्म सदा दूसरो का हित करने की सोच को कायम रखता है। धर्म इंसानियत, अहिंसा, क्षमा, दया की भावना से किसी ना किसी रूप में सब का भला ही करता है।

             प्यारी काव्यांक्षी धार्मिक उन्माद से सदा सबका अहित ही होता है। धर्म के नाम पर उन्माद फैलाने वाले किसी भी तरह से धर्मिक हो नही हो सकते प्यारी
                 ऐसे लोग अपने ही भ्रम में जीते है और दूसरो का अहित भी करते है । वे धर्म से अज्ञान और भ्रमित होकर धार्मिक उन्माद का हिस्सा बन जाते है और उनकी इस कृति में मासूम लोगों की बलि चढ़ती है आतंकवाद फैलता है । आम लोगो का सुकून छीन जाता है। आतंकवाद में उन्हें यही सिखाया गया है। दूसरे धर्म को खत्म कर और जन्नत नसीब करो। तुम बताओ सखी धर्म कैसे किसी का बुरा करना सीखा सकता है। धर्म चाहे कोई भी हो किसी का बुरा करने या नुकसान पहुंचाने हक नही देता । 
               काव्यांक्षी इस धार्मिक उन्माद के चलते लोगों का धर्म के प्रति नजरिया बदल जाता है। न्याय शैली बदल जाती है । हिंसा और अशांति के हालात बनते है । काव्यांक्षी धर्म के नाम पर ये सब मुझे तो कभी समझ नही आया क्या करे नासमझ हु न जरा सी मुझे तो सभी धर्म एक समान अच्छे लगते है । वैसे भी धर्म कहा बुरे होते है। बुरे तो उन्माद फैलाने वाले होते है।

बना जबसे धर्म व्यापार
बदला धर्म का भी सार
बदली न्याय पद्धति
धार्मिक उन्माद से रुकी
देश की उन्नति
जिसे देखो धर्म के नाम पर
आग उगल रहे
उन्माद के शोले हर तरफ 
सुलग रहे है
खुद भी जलते
मासूमों को भी निगलते
रब कब धार्मिक उन्माद सिखाता
रब तो दया की रहमत है बरसाता

ना जातिवाद और अधर्म के बीज बोना
हिंसा और उन्माद में न इंसानियत खोना

आने वाली पीढ़ी को क्या दोगे
आतंकवाद की सौगात
लहू प्यासे वो भी होंगे 
जब मिलेगा उन्हें हिंसा और अपवाद

इस गुलशन को उन्माद की आग में न जलाओ
मानवता को रखो जिंदा धर्म की सच्ची राह अपनाओ

अच्छा प्यारी काव्यांक्षी अब मैं चलती हु फिर मिलते है अपना ख्याल रखना प्यारी🥰😘😊

काव्या
Manish

Manish

suparb 👌👏👏👏

27 अगस्त 2022

Sanju Nishad

Sanju Nishad

लाजवाब लाइनें लिखें है आपने 👍👍👍

27 अगस्त 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

बहुत सुंदर, गद्य और पद्य से सिंचित सुग्राह्य भाव 👌

27 अगस्त 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

27 अगस्त 2022

Thanku so much 🤗

27 अगस्त 2022

Meenakshi Suryavanshi

Meenakshi Suryavanshi

Bahut acha likha ha aapne. .

27 अगस्त 2022

चंदन गिरी

चंदन गिरी

Bahut khub likha well done

27 अगस्त 2022

Devyani mishra

Devyani mishra

Very nice 👌👌

27 अगस्त 2022

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रचनाएँ
काव्यांक्षी मन की बात दैननंदिनी के साथ
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