हां तो काव्यांक्षी तुम्हे तो पता ही है हमारे देश को आजादी को मिले 75 वर्ष पूरे होने जा रहे है। आजादी के इस अमृत महोत्सव पर्व पर कुछ वीर सपूतों को याद कर कुछ कुछ शब्दों के रूप में भावपुष्प उनको अर्पण करना चाहती हूं जिन वीर सपूतों ने देश के खातिर अपने प्राणों को आहुति दी और भारतवर्ष को स्वतंत्रता का उपहार देकर धन्य किया🙏🙏
बात निराली अपने वतन अपनी भारती की
वीर सपूतों ने सदा आरती की
भारत के सपूतों ने प्राणों की आहुति देकर
दुश्मनों से वतन को बचाया
आजादी का फूल वतन के गुलशन में खिलाया
चाहे भेदी बनकर आए
या दुश्मनी की तलवार कोई दुश्मन चलाए
स्वतंत्रता के आंदोलन में रुके नहीं थके नहीं
वतन के लिए कर्तव्य सभी ने शिद्दत से निभाए
भूलें कैसे भला जो हौसला हिम्मत
रानी लक्ष्मी बाई ने दिखाई
क्या खूब लड़ी थी स्वंत्रता की लड़ाई
दुश्मन टिक न पाए
आक्रांत उसके सामने ना रह सके खड़े
दुश्मन को लोहे के चने थे चबाने पड़े
हिंद फौज बनाकर
नेता सुभाष भी रण में आए
भरा हर दिल में ममता प्यार वतन के लिए
पीछे कोई रह ना पाए
भगत सिंह ,आजाद शेखर
या हो भीम राव अंबेडकर
आजादी की सौगात देने को
प्राणों से होकर बेफिक्र
बिगुल आजादी का बजाया
चुका ना सकेंगे कभी इनका कर
याद होगा लौह पुरुष ने देश प्रेम के खातिर
रजवाड़ों का संगठन बनाया
देश को एक सूत्र में बंधा
दुश्मनों को हराया
जोश और हिम्मत राणा प्रताप की ना बिसराना
तोड़े सारे बंधन, मोह सब छोड़कर
चल दिए स्वतंत्रता पाने की राह पर
हो जाओ अग्रसर
ले लो प्रण देश की उन्नति का
इस आजादी के महोत्सव पर
वीर सपूतों का बलिदान होगा सफल
उन्नत और खुशहाल हो गर आने वाला कल