डिअर काव्यांक्षी
कैसी हो 🥰 जब बात शिक्षा की हो तो कहते है इससे बढ़ कर कोई सम्पति नहीं ये ही ऐसी सम्पति है जिसे खर्च करें तो बढ़ती है। jisme सदा फायदा ही है घाटा नहीं।
ऑफलाइन और ऑनलाइन शिक्षा के अपने फायदे और नुकशान है। जहाँ कोरोना काल से ऑनलाइन शिक्षा का चलन ज्यादा हुआ जहाँ घर बैठें shiksha ka साधन तो हुआ वहीं बच्चों में पढ़ाई के प्रति सजगता की कमी आई।
तो कहीं जब अभिभावक मजबूरी के चलते जब अपने बच्चों को दूर शिक्षा के लिए सुविधा नहीं दे पाते तब ऑनलाइन शिक्षा कारगर साबित होती है।
ऑनलाइन क्लासेस में स्टूडेंट और टीचर का interaction बहुत कम हो पाता है स्टूडेंट अपने doubt clear नहीं कर पाते हैं हालांकि ऑनलाइन क्लासेस में वीडियो और टीचर से बात करने का ऑप्शन होता है पर फिर भी स्टूडेंट अपने doubt clear नहीं कर पाते हैं टीचर भी स्टूडेंट से direct बातें नहीं कर पाते हैं किसी स्टूडेंट को उठाकर उढ़ाकर communicate नहीं कर पाते है और यहां तक कि एक स्टूडेंट भी किसी दूसरे स्टूडेंट से बातनहीं कर सकते इसलिए ऑनलाइन क्लासेस interaction के लिए परफेक्ट नहीं है|
ऐसे मे ऑफलाइन क्लासेस ही सही लगती है । ऑफलाइन क्लासेस में बच्चे अपने डाउट अच्छे से क्लीयर कर समझ पाते है
ऑनलाइन क्लास में ना competition होता है न ही बच्चे एक्टिव रह पाते है। टॉपिक भी तय होते है दूसरे विषय पर न चर्चा हो पाती है । ही समय मिल पाता है।
ऑफलाइन या ऑनलाइन अब शिक्षा भी अपने comfort के हिसाब से तय कर के की जाने लगी।
काव्यांक्षी ऑनलाइन शिक्षा में comfort चाहे हो पर दोस्तों संग मस्ती टीचर की डांट के साथ सच्ची सीख और मासूमियत भरा बचपन नहीं है