बुझ गयी हैं हर लौ जिन्दगी की देखों,
सीनें में बस साँसों का धुँआ बाकी हैं...
दूर तक बस रेत ही रेत हैं निगाहों में.,
हैं कहाँ जमीं, आसमाँ कहाँ बाकी हैं.
मैंने माँगी उम्र भर तेरे नाम की दुआ,
तू गया तो क्यों ये आशियाँ बाकी है..
खुदा तेरी आँखों के आँसू मुझकों दे दे,
मेरा दिल अभी तुझ पर मेहरबाँ बाकी हैं...
जिंदगी आ बैठ थोडी देर बातें कर लें,
ये बता और कितनें मेरे इम्तिहाँ बाकी हैं...