दिल तड़प उठा अक्सर मोहब्बत निभाते हुए!
अजीब लगता है अब उसे फोन लगाते हुए !!
इक वक़्त था, रो लिया करते थे दिल खोलके !
अब तो गला भर आता है आंसू छुपाते हुए !!
जाने कितने ही वादे किए थे उसने अक्सर!
हां, वही देर रात तक मैसेज से जगाते हुए!!
याद है उसका कहा कि "बिछड़े तो मर जाएंगे"
वो इक आंसू भी तो न रोया हाथ छुड़ाते हुए !!
ये दिल अब पत्थर सा हो गया ऐसे हालात में !
इक उम्र फिर लगेगी दिल को दिल बनाते हुए !!
इतना आसान कहाँ होता है भूल पाना सबकुछ!
कई रातें लगती है यादों का शहर जलाते हुए !!