वापस न लौटने की ख़बर छोड़ गए हो,
मैंने सुना है तुम ये शहर छोड़ गए हो.
दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं,
तुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो.
सारा ज़माना तुमको मुझ में दूंढ रहा है,
तुम हो की मुझको जाने किधर छोड़ गए हो..
दामन चुरानेवाले मुझको ये तो दे बता,
क्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गए हो..
मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता,
ये मेरे लिए कैसा तन्हा सफर छोड़ गए हो..!!