कवि सम्मेलन का अवसर था,
एक कवि सम्मेलन का अवसर था,
मंच पर कवियों का जमघट था,
एक ने सुर्य उदय पर सून्दर कविता कह डाली,
दुजे ने अद्भुत प्रकृति की खुबसूरती पर,
अनोखी कविता सूना डाली,
इतने में एक कवि ने हिचकिचाते हुए पूछा,
कहाँ मिली इतनी हरियाली,
मैं जहाँ भी नजर डालता हुँ,
सुंदर इमारतें ही निहारता हुँ,
मैं मजबुर हुआ कुछ इस कदर,
मैनें चार-पाँच कविता लिख डाली,
सिविल इंजिन्यर्स की प्रतिभा पर .
-तीषु सिंह 'तृष्णा