कभी तारे बताते अपनी कही-सुनी,
तो कभी चंदा सुनाता अपनी कहानी,
आज रात बदला सा है नज़ारा,
एक कोने चुपचाप खड़ा चाँद,
और झुण्ड बना कर चमक रहा सितारा,
चाँद से पूछा, चल रही बैठक है क्या प्रयोजन ?
चाँद ने बताया-
दिवाली की रात नीचे जाने का है आयोजन,
जा कर कुछ सितारे छत पे जगमगाएंगे,
तो कुछ छज्जों और दीवारों पे टिमटिमाएंगे,
अब दिवाली की प्रवृति लगी बदलने,
मोमबत्तियां और बल्ब की लड़ियाँ लगी सजने,
तो सितारे जा रहे रीतियों की पुनरावृति करने,
जब ये तारे दीवारों, छत-छज्जों पे जगमगाएंगे,
बीती दिवालियों के दीपों की लौ याद दिलाएंगे,
तभी तो अगली बरस लोग घर दीपों से सजाएंगे,
और सितारे दूर आसमान में छुप कर मुस्कुराएंगे।