मेरी आजकल खुशी से बनती नहीं
वो बहुत नखरे दिखाती है,
कितना भी बुलाऊ घर मेरे आती नहीं
कभी मिल जाये तो बस
दूर से मुस्कुराती है,
पहले तो चॉक्लेट आइसक्रीम देख
मेरे घर आ जाती थी और
हफ्ते-हफ्ते टीक जाती थी,
लगता है मानो पर लग गए हों
मिन्नतों से आती है और बस
झलक दिखा के चली जाती है,
जाने मेरी ख़ुशी के स्वभाव को क्या हो गया
हँसते-खेलते रहने और सबको खुश
रखने का भाव कहाँ खो गया,
उम्र के संग खुशी का कद
तो ऊँचा हो गया, सपने भी ऊँचे
हो गए, नखरे तो सबसे ऊँचे हो गये,
मेरी आजकल खुशी से बनती नहीं,
वो बहुत नखरे दिखाती है।