हम कहते हैं हम जाग रहे हैं,
अनदेखे ख्वाबों के पीछे क्यों भाग रहे हैं,
सफलता जो हमने बस में अपने कर ली,
पाकर हमें है क्यों नहीं तसल्ली,
सपनों की तस्वीर पाने की कोशिश में,
जीवित नजारे नजरंदाज करते जा रहे हैं,
हम कहते हैं हम जाग रहे हैं,
अनदेखे ख्वाबों के पीछे क्यों भाग रहे हैं,
जो दिया ईश्वर ने पाकर खुश नहीं क्यों,
कुछ और पाने को लगे जी-जान ले के यूँ,
निरन्तर चलने वाले चक्र में उलझकर,
आज में ही ठहरना भूलते जा रहे हैं,
हम कहते हैं हम जाग रहे हैं,
अनदेखे ख्वाबों के पीछे क्यों भाग रहे हैं,
तय करें ये कि सपने पाने को बढ़ायेंगे कदम,
पर साथ ही यथार्थ से भी प्रीत निभायेंगे हम,
कहीं पहुँचने के जद्दोजहद में डूबे से,
जिंदगी से बेरुखे से होते जा रहे हैं,
और हम कहते हैं हम जाग रहे हैं,
अनदेखे ख्वाबों के पीछे क्यों भाग रहे हैं।