ओ राम मेरे !
मंदिर तेरे
प्रार्थना लेकर आई हूँ
मैं श्याम रंग की श्यामा
कुम्हार टोली के
दिए वाले बिरजू की बेटी हूँ
मंदिर की सफाई वाली राधा मेरी माता है
मेरी माँ को
मूर्तियों के छोटे-छोटे, प्यारे प्यारे
पोशाक सिलना आता है |
हर बरस
मैं और बापू
ढेरों दिए बनाते हैं
गली-मोहल्ले घूम-घूम कर
उनको बेचकर आते हैं
माँ भी मेरी
गणेश-लक्ष्मी की
सुन्दर पोशाक बनाती है
और घर-घर बेचकर आती है |
कुछ बरसों से
जीवन में हमारे
बड़ी परेशानी आई है
कितने भी दिए बना लें हम
बिक्री ना हो पाई है
माँ भी रंग-बिरंगे पोशाक बेच
पैसे ला ना पाती है
दिवाली में भी आँगन
दिए से रौशन ना हो पाती है |
परसों रोज़
पिछली गली वाली
काकी ने बोला था
तुमसे ज्यादा सस्ते दाम में
अमेज़न दे जाता है
तीसरी गली वाली दीदी ने बोला
मैं तुझसे दिए क्यूँ लूँ
जब घर बैठे ही
फ्लिपकार्ट नक्काशी वाले
दिए भिजवाता है |
हे प्रभु !
मैं ना जानू
कहाँ उनकी दुकानें हैं
पर ईश्वर आप मेरे खातिर
इतना तो कह दो उनसे
हमारे भी कुछ दिए की
बिक्री होने दें
इस दिवाली
हम भी दीप जलाएं हमारे घर भी लक्ष्मी माता आए |