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इस बरस दिवाली हमें भी मनानी है

18 अक्टूबर 2022

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ओ राम मेरे !

मंदिर तेरे 

प्रार्थना लेकर आई हूँ

मैं श्याम रंग की श्यामा 

कुम्हार टोली के 

दिए वाले बिरजू की बेटी हूँ 

मंदिर की सफाई वाली राधा मेरी माता है 

मेरी माँ को 

मूर्तियों के छोटे-छोटे, प्यारे प्यारे 

पोशाक सिलना आता है |

हर बरस 

मैं और बापू 

ढेरों दिए बनाते हैं 

गली-मोहल्ले घूम-घूम कर 

उनको बेचकर आते हैं 

माँ भी मेरी 

गणेश-लक्ष्मी की  

सुन्दर पोशाक बनाती है 

और घर-घर बेचकर आती है |

कुछ बरसों से 

जीवन में हमारे 

बड़ी परेशानी आई है 

कितने भी दिए बना लें हम  

बिक्री ना हो पाई  है 

माँ भी रंग-बिरंगे पोशाक बेच 

पैसे ला ना पाती है 

दिवाली में भी आँगन 

दिए से रौशन ना हो पाती है |

परसों रोज़ 

पिछली गली वाली 

काकी ने बोला था 

तुमसे ज्यादा सस्ते दाम में 

अमेज़न दे जाता है

तीसरी गली वाली दीदी ने बोला  

मैं तुझसे दिए क्यूँ लूँ 

जब घर बैठे ही 

फ्लिपकार्ट नक्काशी वाले 

दिए भिजवाता है |

हे प्रभु !

मैं ना जानू 

कहाँ उनकी दुकानें हैं 

पर ईश्वर आप मेरे खातिर  

इतना तो कह दो उनसे 

हमारे भी कुछ दिए की 

बिक्री होने दें 

इस दिवाली

हम भी दीप जलाएं हमारे घर भी लक्ष्मी माता आए |
 

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रचनाएँ
चंद कविताएं जीवन से जुड़ी
5.0
कविताओं का संग्रह है - चंद कविताएं जीवन से जुड़ी |
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उफ़ ये चिन्तन

5 फरवरी 2022
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आज शाम मिली फुरसत मुझको अकेले में  पर पड़ गई फिर उसी चिन्तन  के झमेले में  उस दिन ये जो हुआ तो क्यों हुआ  काश वो होता तो कितना अच्छा होता  उस सोच की सोच में घंटों लगा दिये  शुकून से जो पल बिता

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अकेले हो तो क्या

5 फरवरी 2022
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अकेले हो तो क्या  व्याकुल नजरों से  पंथ न निहारो तुम मन की उलझनों से  एक पल तो निकालो तुम  पलटकर भूतकाल में  जरा नजर डालो तुम  पहले भी अकेले ही चले  थे ये दोनों

3

नारी कहे पुकार के

5 फरवरी 2022
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नारी कहे  पुकार के इस पुरे संसार से, मैं तो जन-जन से जुड़ी  हूँ, तो क्यों खुद को ढूंढ रही हूँ, अस्तित्व न होने की चुभन है, जबकि मुमकिन ना मुझ बिन सृजन है, खुद में बहुत सा रूप बसाया मैंन

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उफ़ ये दोराहें

5 फरवरी 2022
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हम इन्सानों की अजीब कहानी है दस कदम चले नहीं कि बस दोराहें आनी हैं एक राह अपनानी है तो दूजी छूट जानी है जिस राह को चुन चल पड़े वो लगती नहीं सुहानी है जो राह छूट गयी है बस उसपे पछतानी है

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वक्त

5 फरवरी 2022
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नाराज हूँ  मैं वक्त से वक्त वो देता नहीं क्यों  ढेरों वजह ढूंढ़कर मशरूफ रहता यूँ ऐ वक्त कभी तो मेरे छज्जे पे आ रे   किसी शाम की चाय मेरे संग पी के जा रे मन में जन्मे  शब्दों को

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मेरी आजकल खुशी से बनती नहीं

5 फरवरी 2022
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मेरी आजकल खुशी से बनती नहीं वो बहुत नखरे दिखाती है, कितना भी बुलाऊ  घर मेरे आती नहीं कभी मिल जाये तो बस दूर से मुस्कुराती है, पहले तो चॉक्लेट आइसक्रीम देख मेरे घर आ जाती थी और हफ्ते-हफ्ते ट

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एक औरत जो लड़की थी

5 फरवरी 2022
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एक औरत जो लड़की थी, कुछ ना सोचा करती थी,  ना कुछ समझा करती थी,  हवाओं सी बहती थी, बेफिक्री में रहती थी, ना सुबह शाम का होश था, ना मन में कोई रोष था, चेहरे पे मुस्कान लिए दिन-भर फिरा करती थी,

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नया पड़ाव

5 फरवरी 2022
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ज़िन्दगी के नए पड़ाव पे पहुंची आज, अनजानी खुशी का हुआ आगाज़, बहुत ही मीठा-मीठा सा अहसास, वो मेरे ही अन्दर ले रहा है साँस, इन्द्रियों से कर रही मैं आभास, सपने बुनने की हुई है शुरु

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हम कहते हैं हम जाग रहे हैं

5 फरवरी 2022
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हम कहते हैं हम जाग रहे हैं, अनदेखे ख्वाबों के पीछे क्यों भाग रहे हैं, सफलता जो हमने बस में अपने कर ली, पाकर हमें है क्यों नहीं तसल्ली, सपनों की तस्वीर पाने की कोशिश में, जीवित नजारे नजरंदाज करत

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छाँव वाला गाँव

3 अप्रैल 2022
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मन मेरा ढूंढे छाँव वाला गाँव जिसपर चलकर जले न नंगे पाँव बहे हवाएँ शीतल पीने को ठण्डा जल लूँ ठंडी ठंडी साँस बावले मन के भावनाओं में बहकर टूटी मैं सच्च

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मैं कवि तो नहीं

3 अप्रैल 2022
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मैं कवि तो नहींबस शब्द जोड़ती हूँ,कभी अपनी कल्पना उभारती हूँ,तो कभी अनुभव निखारती हूँ,कभी खुद के प्रेम में डूबती हूँतो कभी अहसासों में खोती हूँ,कभी खुद में जोश जगाती हूँ,तो कभी कहीं प्रेरणाऐं ढूँढती हू

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उलझन में मन

3 अप्रैल 2022
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कोई पहचानी उलझन हो रही मन में,पुराना डर छुप के बैठा मेरे अंतर्मन में,फैला हर तरफ अजीब सा सन्नाटा,मानो फुटने को है कोई भयानक ज्वारभाटा,पहले भी बीता था मौसम आँधियों वाला,जिसमे जर

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सुकून

3 अप्रैल 2022
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अगर सुकून की शक्ल होती,अकेलेपन में खूब रोती ,हर तरफ आवाज़ है और शोर है,कहीं पहुँचने की सबको होड़ है,मुझको भुला दिया है सब ने,मेरा अस्तित्व ही मिटा दिया है सब ने,बच्चों से छूट गया माँ का आंचल,

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मेरे आँगन का सूरज

3 अप्रैल 2022
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मेरे आँगन -आज सुबह सूरज उगामेरा आँगन रौशन हुआहर कोने का अँधेरा मिटा,बड़ी पुंज रौशनी कीमेरे अंदर भी समां गयीमानो लम्बी नींद से जगा गयी,जहाँ था चिंताओं का बसेराउम्मीदों ने डाला है डेरार

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बारिश का सुरीला शोर

3 अप्रैल 2022
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खिड़की पे बैठी हूँ ले चाय की प्याली,जी रही हूँ कुदरत की तस्वीर निराली, यूँ निकली है आज भींगी हुई भोर,गूंज रहा है पानी का सुरीला शोर,कभी गूँजती हैं झ

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वो गर्मी की दोपहर

3 अप्रैल 2022
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वो गर्मी की दोपहर,बिलकुल शांत और गंभीर,अंदर ऊबासी लेते कमरे,पसीने से लथ-पथ खिड़कियां,वो गर्मी की दोपहर,बिलकुल शांत और गंभीर,बाहर गर्म हवाओं का शोर,धूम में झुलसी हुई पत्तियाँ,साल भर में मिलत

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ज़िन्दगी

3 अप्रैल 2022
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ज़िन्दगी भी बहुत ही अजीब है,कभी तो ये हंसाती है,तो कभी ये रुलाती है,और कभी-कभी शांत रहकर बहत कुछ सिखाती है। ज़िन्दगी भी बहुत ही अजीब है,कभी तो बहुत कुछ छीन ले जाती है,तो कभी एकाएक बहुत कुछ दे

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फ्रीलांसिंग में चोरी

3 अप्रैल 2022
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पढ़ रही थी English literature,सोचा था बनूँगी मैं Lecturer,पर नौकरी की थी मुझे जल्दी,तो मैंने MBA ही कर ली,HR बन कर रही पुरे साल,फिर बसा लिया अपना घर-संसार,पति हैं मेरे IT professional,हम दो

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एक चर्चा कोरोना से

25 मई 2022
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 2019 से हम पर हुई कोरोना की वार,  लाखों हुए बीमार और लाखों गए सिधार,    अगणितों की गई नौकरी हुए बेरोज़गार,  कोरोना ने मान लिया कि हम जाएंगे हार, हमने मास्क को अपना ढ़ाल बनाया, सैनिटाइज़र से कर दिया

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पापा

18 जून 2022
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पापा, मेरे पापामेरे पापा जैसा कोई नहीं है,पापा की बिलकुल अलग ही शानहर वक़्त चेहरे पर मीठी मुस्कान,गरम माहौल में भी हँसते-हँसातेमस्ती-मज़ाक में मम्मी को बहुत सताते,बचपन की छोटी-सी बड़ी गलती केसिर्फ पापा ह

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सुकून

23 जून 2022
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सुकून को पसंद नहीं, कि समझ ले उसे कोई |   बचपन में जब हमें, सुकून की समझ ना थी |   जीवन में तब हमारे, सुकून ही सुकून था | ज्यों हुई समझ सुकून की,   समझ हो गयी ख़फ़ा |   अब चौबीस

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एक नारी

27 जून 2022
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एक नारी की डायरी के आधे से अधिक पन्ने किस्से-कहानियों से भरे थे बाकी बचे हुए पन्ने खाली और सुनसान पड़े थे | उसने सोचा अपनी कविताओं से आज इस पन्ने को सँवार दूँ&n

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एक कवि

10 अगस्त 2022
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कवि सम्मेलन का अवसर था, एक कवि सम्मेलन का अवसर था, मंच पर कवियों का जमघट था, एक ने सुर्य उदय पर सून्दर कविता कह डाली, दुजे ने अद्भुत प्रकृति की खु

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मोदी जी

16 सितम्बर 2022
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बहुत से गणमान्य नेता बन पहले भी आए थे और आगे भी आएंगे | ढेरों सुनहरे सपने हमें पहले भी दिखलाए थे और आगे भी दिखलाएंगे | मोदी जी ने अच्छे दिन का प्रण लिया और वायदे के मायने ही बदल दिए | न

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बचपन और खुशी

4 अक्टूबर 2022
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मेरे शहर की गली में रहता था बचपनऔर अगली मोड़ में रहती थी खुशी,वो हर सुबह - शाम मिलते थे अक्सरउन दोनों में थी काफी गहरी दोस्ती,बचपन का था थोड़ा रूखा स्वभावछोटी सी बात में गरम होता उसका भाव,खुशी थी होशिया

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इस बरस दिवाली हमें भी मनानी है

18 अक्टूबर 2022
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ओ राम मेरे ! मंदिर तेरे  प्रार्थना लेकर आई हूँ मैं श्याम रंग की श्यामा  कुम्हार टोली के  दिए वाले बिरजू की बेटी हूँ  मंदिर की सफाई वाली राधा मेरी माता है  मेरी माँ को  मूर्तियों के छोटे-छोटे,

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इस दीवाली

23 अक्टूबर 2022
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बैठती हूँ छत के मुँडेर पर देर तक,चंदा और तारों से गप्पें होती अक्सर,कभी तारे बताते अपनी कही-सुनी,तो कभी चंदा सुनाता अपनी कहानी,आज रात बदला सा है नज़ारा,एक कोने चुपचाप खड़ा चाँद,और झुण्ड बना कर चमक रहा स

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राज कुंवर और महारानी माँ

14 नवम्बर 2022
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एक छोटी-सी, प्यारी-सी यह कहानी है,राज कुंवर और उनकी माँ महारानी है,इन माँ-बेटे की दोस्ती इतनी गहरी है,कि हर एक बात एक दूजे को बतानी है, हर रोज सुबह-सवेरे महारानी मां,लाडले राज कुंवर के कमरे में आ

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माँ

16 नवम्बर 2022
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माँ माँ महज़ शब्द ही नहीं एक संस्कार है | नारी मन में छुपा एक सूंदर विचार है | नारी के आँगन जब बच्चे का जन्म होता है | उसी रोज़ नारी का भी पुनर्जन्म होता है | जीवन क्यों मिला ?

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कांवर संग देवघर का सफ़र

21 मई 2023
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पिछले बरस सावन में  कांवर ले नंगे पांव  मैं देवस्थान,  देवघर गई थी |  एक बिल्कुल नया-सा  पहलू मुझे समझ आया |  कांवर लेकर  देवघर तक  जाने  का सफ़र मैंने  बिलकुल जीवन-सा पाया | दोनों ही सफ़र में

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कांवर संग देवघर का सफ़र

21 मई 2023
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पिछले बरस सावन में कांवर ले नंगे पांव मैं देवस्थान, देवघर गई थी | एक बिल्कुल नया-सा पहलू मुझे समझ आया | कांवर लेकर देवघर तक  जाने का सफ़र मैंने बिलकुल जीवन-सा पाया | दोनों ही सफ़र में ईश्वर त

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