मुझसे कोई गुजारिश ना कर
जमीं गीली है बारिश ना कर
मैं खुद ही आग की जानिब हूँ
तू रहने दे कोई साजिश ना कर
मेरे वजूद के सब दाग मेरे हैं
किसी मासूम को मेरा वारिस ना कर
समीर कुमार शुक्ल
18 दिसम्बर 2015
मुझसे कोई गुजारिश ना कर
जमीं गीली है बारिश ना कर
मैं खुद ही आग की जानिब हूँ
तू रहने दे कोई साजिश ना कर
मेरे वजूद के सब दाग मेरे हैं
किसी मासूम को मेरा वारिस ना कर
समीर कुमार शुक्ल
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अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आते,अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आतेDबेहतरीन
19 दिसम्बर 2015