मोहब्बत की इबादत लिख
इंसान की भूली आदत लिख
सफर अंतहीन है
पैरो मे हिफाज़त लिख
कपड़ो को दोष न दे
आंखो मे शराफत लिख
फेंक दे बिरादरी चोले
नाम से पहले भारत लिख
समीर कुमार शुक्ल
29 दिसम्बर 2015
मोहब्बत की इबादत लिख
इंसान की भूली आदत लिख
सफर अंतहीन है
पैरो मे हिफाज़त लिख
कपड़ो को दोष न दे
आंखो मे शराफत लिख
फेंक दे बिरादरी चोले
नाम से पहले भारत लिख
समीर कुमार शुक्ल
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अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आते,अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आतेDकमाल कर दिया आपने तो...........बहुत खूब
29 दिसम्बर 2015
ग़ज़ल के माध्यम से गहरी बात लिखी है...उम्दा ! शानदार !
29 दिसम्बर 2015