कभी दिल की जुबा भी बोला करो
बंद दरवाजो को खोला करो
अलग हर आदमी है औरों से
हमे हमी से तौला करो
सर्द आहों मे मजा कहा है
कभी आसुओ सा खौला करो
हकीकत मे हांसिल कुछ भी नहीं
लूट जाओ तो बस मौला मौला करो
समीर कुमार शुक्ल
1 जनवरी 2016
कभी दिल की जुबा भी बोला करो
बंद दरवाजो को खोला करो
अलग हर आदमी है औरों से
हमे हमी से तौला करो
सर्द आहों मे मजा कहा है
कभी आसुओ सा खौला करो
हकीकत मे हांसिल कुछ भी नहीं
लूट जाओ तो बस मौला मौला करो
समीर कुमार शुक्ल
11 फ़ॉलोअर्स
अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आते,अपनी लिखी यू ही पढ़ देता हूँ
अंदाज़ मे मुझे गज़ल कहने नहीं आतेDबहुत खूब समीर जी !
2 जनवरी 2016