आप गुणी हैं तो कोई न कोई गुण-ग्राहक तो मिल ही जाएगा। ईश्वर भी सगुण होने पर लोक में पूज्य हो जाता है तो मनुष्य का तो कहना ही क्या है। गुणों का संग्रह सदैव लाभप्रद रहता है। गुण ही रुपए का जन्म स्थान है। नए गुणों का संग्रह कीजिए और किसी एक गुण के विशेषज्ञ बनिए, तभी आप सबसे अलग दिखेंगे और सबके आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होंगे। कार्यदक्ष होने से आजीविका का भय नहीं रहता। आत्मबल, योग्यता और अभ्यास लक्ष्मी के सिद्ध मन्त्र हैं।