सफलता चाहिए तो कर्मयोगी बनना आवश्यक है। संसार रूपी रंगमच में कर्मयोग द्वारा ही सफलता मिलती है। गीता में कहा है-योगः कर्मसु कौशलम्। स्पष्ट है कि कर्मयोगी कार्यकुशल होता है। यह भी कह सकते हो कर्म के योग से कुशलता प्राप्त होती है।
इसी प्रकार वेद कथन है कि कुर्वन्नेवेह कर्माण जिजीविषेत् शतं समाः। स्पष्ट है कि कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीवित रहो।
कर्म के बिना कोई कुछ नहीं कर सकता है। आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें...