आपको निज ज्ञान की नींव को मजबूत बनाना चाहिए। सामान्यतः ज्ञान स्वाध्याय अर्थात् अध्ययन से बढ़ता है। प्रत्येक व्यक्ति को स्कूल व कॉलेज में पढ़ते हुए अपने ज्ञान को पूर्ण समर्पण भावना से अर्जित करना चाहिए। जो ज्ञान बढ़ाने में सक्रिय रहते हैं वे कठोर परिश्रम एवं सतत प्रयास से शेष सबकुछ पा लेते हैं।
आप किसी भी क्षेत्र में हों, कुछ भी कर रहे हों, सीखने की प्रक्रिया को नहीं रोकना चाहिए, अपितु निरन्तर जारी रखना चाहिए। इससे बहुत कुछ नया प्राप्त होता है जो जीवन में बहुत कुछ दिला देता है। सीखने वाला नए प्रयोग करने की सोचता है, उन प्रयोगों को करता है, करना भी चाहिए क्योंकि जब तक जोखिम लेने का साहस नहीं होता तब तक व्यक्ति कुछ पाने के लिए तत्पर भी नहीं होता है।
व्यक्ति असफल कब होता है जब वह कुछ करने का प्रयास करता है। बिना काम करे तो कोई असफल होता ही नहीं है। असफलता नए सूत्र देती है और अन्ततः स्वयं को सफलता में बदल लेती है। असफलता से निराश नहीं होना चाहिए, अपितु यह समझना चाहिए कि कुछ सीखा है। प्रत्येक असफलता सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। असफलता से ही अनुभव की उत्पत्ति होती है। यही अनुभव सफलता दिलाता है।
आपको छोटे-छोटे कार्य पर भी सघन दृष्टि रखनी चाहिए। कुछ भी संयोग पर मत छोड़ें। यदि आप ऐसा व्यवहारिक रूप से सोचते हैं तो असफलता की संभावना कम हो जाती है।
ज्ञान और अनुभव बांटने से भी प्रतिभा निखरती है और आत्मविश्वास बढ़ता है, तब जीवन सफलता की मोतियों से दमकने लगता है।