महात्मा बुद्ध ने कहा है-'जो अभिमान करता है, ध्यान नहीं करता है एवं सदैव विलासिता में पड़ा रहता है , उसे ध्यानस्थ से ईर्ष्या होगी।' उन्होंने शिष्यों को पांच व्यवहारिक ध्यान के निर्देश दिए थे-
1-पहला ध्यान प्रेम का करें।
2-दूसरा ध्यान दया का करें।
3-तीसरा ध्यान प्रसन्नता का करें।
4-चौथा ध्यान अपवित्रता का करें जिससे इससे बचाव हो सके।
5-पांचवां ध्यान शान्ति का करें।
ये पांचों ध्यान आपको सत्य ज्ञान का दर्शन कराएंगे। इन पांच ध्यानों से आप सच्चे समृद्ध बन सकेंगे। आप की काया रहे न रहे पर आप अमर हो जाएंगे। वस्तुत: प्रेम, दया, प्रसन्नता, अपवित्रता एवं शान्ति का ध्यान करते रहना चाहिए।