पचास साल की उम्र पूरी होने के बाद शुरू होती है दूसरी पारी।भागदौड़ भरी जिन्दगी को अलविदा कहकर पूरे करने होगे अधूरे रह गये सपने।अपनी रुचि के काम जैसे बागवानी,जरूरतमंद की मदद के लिए नरसेवा-नारायण सेवा ओ मूर्तरूप देना,सूखते रिश्तो को समय के जल से सीचना,सामाजिक सरोकार विषय पर लेखन के साथ प्रेरणादायक प्रसंग जगजाहिर करने मे यथासंभव सहयोग कर एक जिम्मेदार नागरिक के कर्तव्यो का निर्वहन करना।प्रकृति के सानिध्य मे अधिक समय बिताने के लिए गाव के खेत और पहाड़ पर हरियाली और स्वच्छ वातावरण सदैव प्राथमिकता मे रहेगा।साइकिल और बैट्री चालित स्कूटर जैसे पसंदीदा वाहन का प्रयोग करके पर्यावरण मित्र की भूमिका निभाना है।अपने अनुभव स्कूली छात्रो और अन्य नवयुवको के लिए देश के लिए कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देने वाले हो,ऐसे प्रयास मे लगे रहना है।पेड़ लगाने के शौक को पूरा करने के लिए अपने बगीचे मे आम,अमरूद,नाशपाती,सहजन,आड़ू,अगूर,कटहल,बेल,
इमली,करौदा,पपीता,अनार,धनिया,मिर्च सहित गुलाब,गेदा,गुड़हल,गुलदाबदी,हरसिन्गार,गुलमेहदीऔर तीन रंगो की लिली अभी तैयार है।आगे और पौधे लगाने है साथ ही पौधे निशुल्क वितरित करने का का भी अनवरत जारी रखना है।स्वच्छता ही सेवा के मूल मंत्र को अपनाने के लिए जनजागरूकता अभियान का हिस्सा बनकर स्वच्छ भारत मिशन को कामयाब बनाना है।
दूसरी पारी की धमाकेदार शुरुआत के दौरान ही बायी ओर कंधे,पीठ और बाजू मे दर्द ने हृदय रोग की ओर इशारा कर दिया है ।अब सुबह की सैर के साथ संतुलित आहार और दवाइयो का साथ इस पारी को रोचक बनाने का काम करेगा।व्यस्त रहे- मस्त रहे