जैसा चाहते हैं वैसा कर पाने के लिए जिस शक्ति से प्रेरित होते हैं उसे इच्छा शक्ति कहते हैं। इच्छा शक्ति का विकास करना सरल लगता है पर है नहीं। जीवन में बड़ी उपलब्धियां मात्र तभी मिल पाती हैं जब व्यक्ति अपनी प्राकृतिक मनोकामनाओं पर निज इच्छा शक्ति द्वारा विजय पा लेता है और इन्द्रियों पर संयम रखता है।
यह सत्य है कि आत्म संयम से इच्छा शक्ति में वृद्धि होती है। मानव मस्तिष्क विभिन्न दिशाओं में गतिमान रहने का स्वभाव रखता है। आप कुछ कर रहे हैं तो उसे बीच में छोड़ देने की आपकी इच्छा हो सकती है। टीवी पर कोई कार्यक्रम देख रहे हैं तो आपका मन उसे बीच में छोड़कर कुछ ओर करने का करने लगे। यह सामान्य है, पर आपमें इतनी सामर्थ्य है कि आप अन्त:शक्तियों को केन्द्रीभूत करके एक समय में एक कार्य करने और उसे पूर्ण अविभाजित मन से करने की क्षमता उत्पन्न कर सकते हैं। आप अपने मस्तिष्क को इतना नियन्त्रित कर सकते हैं कि जब आप जो चाहें कर सकते हैं। जब आप एक घंटे तक एक ही वस्तु पर केन्द्रित कर लेते हैं तो आप मस्तिष्क को नियन्त्रित कर लेते हैं। नियन्त्रित मस्तिष्क सामान्य मस्तिष्क से अधिक बली होता है। मस्तिष्क को इधर-उधर भटकने पर रोक लगा लेने वाला व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा विशिष्ट होता है।
जब आप एकाग्र हो जाते हैं तो आप समझ लें कि आपके पास इच्छा शक्ति है क्योंकि ये एकाग्रता उसी के बल पर आती है। इच्छा शक्ति कमजोर हो तो स्मरण शक्ति भी कमजोर होती है। अच्छी स्मरण शक्ति नहीं है तो समझ लें कि आप में इच्छा शक्ति का अभाव है। इच्छा शक्ति हो तो आप सबकुछ समय पर और सम्यक ढंग से कर पाते हैं और सफलता के सोपान चढ़ते जाते हैं।