हम दु:खी क्यों है ? इस प्रश्न का उत्तर जाने तो ज्ञात होगा कि हम सदैव यह सोचते हैं कि हमारे पास धन नहीं है, हमारी बुद्धि तीव्र नहीं है, हमारे शरीर में रोग है, हम व्यवहार कुशल नहीं हैं, शरीर निर्बल है या हमें सांसारिक ज्ञान नहीं है। शायद इसीलिए हम दु:खी हैं लेकिन सच तो यह है कि यह सब किसी के पास है तो वह संतुष्ट नहीं है और दु:खी रहता है नानक जी ने तो कहा है कि नानक दुखिया सब संसार इस प्रकार तो उन के अनुसार पूरा संसार ही दु:खी है। यह सच है यदि आप किसी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं तो समझ लें कि वह सुखी है। लेकिन जब उसके पास जाकर उसकी कहानी सुन लेंगे तो आपको बोध होगा कि अरे यह भी दु:खी है। जिस के विषय में आप नहीं जानते वह सुखी है और जिस के विषय में जान जाते हैं वह दु:खी है। हम दु:खी इसलिए नहीं हैं कि हमारे पास सब कुछ है या नहीं है। सच तो यह है कि हम इसलिए दु:खी हैं कि हम सब के विषय में या संसार के विषय में बहुत कुछ जानते हैं पर अपने आप को नहीं जानते हैं। यही कारण है कि हम दु:खी हैं जो स्वयं को जान लेता हूं दु:ख मुक्त हो जाता है। जिसने स्वयं को नहीं जाना और सबको जाना तो वह दु:खी है। सत्य तो यही है कि सब कुछ मृत्यु के साथ यहीं रह जाना है तो दुःख किस बात का है।